गढ़शंकर, 10 जनवरी : शिक्षकों और शिक्षा से संबंधित मुद्दों पर डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) के हालिया विरोध को देखते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की अध्यक्षता में कैबिनेट उप-समिति ने
अध्यक्ष विक्रम देव सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के साथ एक पैनल बैठक की। इस मौके पर श्री चीमा और कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई और बैठक में शिक्षा सचिव कमल किशोर यादव, वित्त सचिव बसंत कुमार गर्ग और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
डीटीएफ महासचिव महेंद्र कौड़ियांवाली, प्रदेश उपाध्यक्ष गुरप्यार कोटली व राजीव बरनाला तथा प्रदेश प्रचार सचिव सुखदेव डानसीवाल ने बताया कि पी.टी.आई. व आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों के वेतन पुनरीक्षण और वसूली के संबंध में निदेशक स्कूल शिक्षा (माध्यमिक) द्वारा जारी अवैध पत्र को रोकने के लिए शिक्षा ने कैबिनेट सब-कमेटी द्वारा शिक्षा सचिव को निर्देश दिया है। डीटीएफ ने संगरूर पक्का मोर्चा पर बैठे कंप्यूटर अध्यापकों के संघर्ष के साथ एकजुटता व्यक्त की है और इन अध्यापकों को शिक्षा विभाग में मर्ज करने, कई वर्षों से रोके डीए को बहाल कर बाकी नियमित सरकारी कर्मचारियों के साथ जोड़ने और सिविल सेवा नियम लागू करने की पुरजोर मांग की है। वित्त मंत्री ने कम्प्यूटर शिक्षकों का डी.ए. जल्द ही पत्र जारी करने का आश्वासन दिया है। संगठन ने कर्मचारियों के काटे गए भत्तों में से ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्र के भत्तों को बहाल करने की जोर-शोर से मांग की और इसे इन क्षेत्रों के कर्मचारियों और वंचित लोगों के साथ भेदभाव बताया। कैबिनेट उप समिति ने इस मामले पर नैतिक सहमति देते हुए वित्त विभाग के अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार कर समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. डीटीएफ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन को रोकने की मांग की और पाठ्यक्रम परिवर्तन प्रक्रिया के दौरान केंद्र सरकार के विभाजनकारी एजेंडे को रंग देने के किसी भी संभावित प्रयास का कड़ा विरोध किया। पंजाब की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनी शिक्षा नीति बनाने की मांग पर वित्त मंत्री ने शिक्षा सचिव को प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं।
एनपीएस कर्मचारियों के जीपीएफ खाते खोलने की मांग के संबंध में कहा गया कि केंद्र द्वारा प्रायोजित एकीकृत पेंशन योजना पर वित्त मंत्री विचाराधीन है, जिसे डीटीएफ ने शुरू में खारिज करते 1972 के नियम के तहत पेंशन बहाली पर पहरा लगाने की बात दोहरायी। पंजाब के कर्मचारियों को 11 फीसदी डीए. की लंबित किश्तों और 249 माह की बकाया राशि जारी करने और आई.ए.एस. और आईपीएस अधिकारियों की तरज पर डी.ए. जोड़ने की मांग की गई। इसके साथ ही 17 जुलाई 2020 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों पर लागू केंद्रीय वेतनमान को नवनियुक्त कर्मचारियों के साथ धक्केशाही बताया और पंजाब वेतनमान बहाल करने की मांग की। छठे पंजाब वेतन आयोग की पूरी रिपोर्ट जारी करने, प्रोबेशनरी टाइम एक्ट-2015 और एसीपी बहाली की भी मांग की गयी। शिक्षक नरेंद्र भंडारी, डाॅ. रविंदर कंबोज, ओ.डी.एल. में शेष शिक्षकों और 14 हिंदी अध्यापकों और लेक्चरर मुख्तियार सिंह जलालाबाद के मामलों को बिना देरी किए हल करने की जिम्मेदारी शिक्षा सचिव की लगाई गई है।