दिल्ली में जीरो, जीरो और जीरो, अब सिख दंगों की आंच : पंजाब में बुरी तरह फेल हो जाएगा कांग्रेस का प्लान

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नई दिल्ली  :  पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव है. अभी आम आदमी पार्टी की सरकार है. उससे पहले कांग्रेस की ही थी. दिल्ली हारते ही आप की सियासी गाड़ी लड़खड़ाती दिख रही है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की हार के बाद पंजाब की सियासत में हलचल के संकेत हैं।
कांग्रेस मौके की ताक में है. उसे यकीन है कि आप में खेला होगा तो उसकी राहें आसान होंगी. पर अभी कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति में है. वह आम आदमी पार्टी में टूट का इंतजार कर रही है. वह अभी से ही पंजाब की सत्ता की वापसी का प्लान करने में लगी है. मगर यह इतना आसान कहां. उसके सामने अब एक नई मुसीबत आई है.
जी हां, 1984 सिख दंगे से जुड़े केस में कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिए गए हैं. यह कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. कारण कि पंजाब में सिखों की बहुलता है. सिख जो चाहते हैं, वही होता है. ऐसे में कांग्रेस के दिग्गज नेता का दोषी पाए जाना सिख वोटरों से कांग्रेस को दूर कर सकता है. पहले तो दिल्ली में लगातार तीन बार ( 2015, 2020, 2025) कांग्रेस शून्य पर आउट हुई. अब कांग्रेस पंजाब प्लान की राह में सिख दंगा वाला रोड़ा आ गया है. सिख दंगों की आंच से कांग्रेस का बचना बहुत मुश्किल लग रहा है. अब पंजाब की सियासत में कांग्रेस को घेरने का भाजपा के पास भी मौका है.
कांग्रेस का प्लान होगा फेल?
भले ही भाजपा अब तक पंजाब में उतनी मजबूत नहीं रही है. मगर उसके लिए सज्जन कुमार को दोषी होना सियासी हथियार हो सकता है. अब भाजपा कह सकती है कि कांग्रेस के सज्जन ने ही सिखों को मौत के घाट उतारा. इसका असर चुनाव में हो सकता है. भाजपा अक्सर शिरोमणी अकाली दल के साथ चुनाव लड़ती रही है. मगर पिछले चुनाव में वह अकेली थी. नतीजा हुआ कि भाजपा 2 सीटें जीत पाई, जबकि अकाली दल 3. आम आदमी पार्टी को बंपर 92 और कांग्रेस को 18 सीटें मिलीं. कांग्रेस मुक्त अभियान में भाजपा के लिए पंजाब में जीत दर्ज करना अहम है. दिल्ली तो 27 साल बाद भाजपा जीत गई, अब पंजाब की बारी है.
भाजपा जमीन तैयार करनें में जुटी
भाजपा पंजाब में अभी से जमीन तैयार करने में जुट गई है. वह यह बताने की कोशिश में जुट गई है कि वह शिरोमणि अकाली दल की पिछलग्गू नहीं है. हालांकि, सियासत में कुछ भी संभव है. पंजाब में भाजपा अब सबको साधने में जुटी है. चुनाव से पहले फिर भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू है. अगर दोनों साथ ताए हैं तो यह कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के लिए भी चुनौती होगी. इसका करण है कि एसजीपीसी हमेशा अकालियों के साथ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस की राह आसान नहीं है. अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस इस परसेप्शन को कैसे खत्म करेगी कि कांग्रेस नेता सज्जन सिंह ने ही सिखों की हत्या करवाई?
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