शिमला : हिमाचल सरकार उन गैर-हिमाचलियों (नॉन हिमाचली) को राहत देने की तैयारी में है, जो हिमाचल मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा-118 के तहत प्रदेश में जमीन खरीदेंगे। जयराम सरकार धारा-118 में संशोधन करके 5 साल में लैंड यूज की अनुमति देने जा रही है। विधानसभा के 10 अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र में इसे लेकर बिल लाया जा रहा है। प्रधान सचिव राजस्व डॉ. ओंकार शर्मा ने बताया कि हिमाचल सरकार मानसून सत्र में बिल लाने जा रही है। इसमें धारा-118 के तहत जमीन लेने पर लैंड यूज की अवधि 3 प्लस 2 साल करने का प्रस्ताव है।
बिल में लैंड यूज की 2 साल की सीमा को बढ़ाकर 3 साल, एक्सटेंशन एक साल के बजाय 2 साल करने की तैयारी है क्योंकि वर्तमान में 2 साल में लैंड यूज की शर्त की वजह से कई लोग जिस मकसद से जमीन खरीदते हैं। उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते। एक साल की एक्सटेंशन मिलने पर भी कुल मिलाकर 3 साल बनते हैं, फिर भी निर्माण कार्य या लैंड यूज नहीं हो पाता है।
खासकर शहरी क्षेत्रों में तीन साल में निर्माण नहीं हो पाता, क्योंकि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से ही अनुमति लेने में लंबा वक्त बीत जाता है। इसी तरह किसी औद्योगिक यूनिट की सूरत में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग इत्यादि से कई मंजूरियां लेने में भी काफी समय लग जाता है। हिमाचल में बरसात और सर्दियों में निर्माण कार्य बंद हो जाते है। इन सब वजह से 3 साल में लैंड यूज नहीं हो पाता। ऐसे में राज्य सरकार 3 प्लस 2 साल यानी 5 साल में लैंड यूज की इजाजत दे सकती है।
हिमाचल प्रदेश में कोई भी गैर-हिमाचली जमीन नहीं खरीद सकता है। बाहरी राज्य के व्यक्ति को प्रदेश में मकान, उद्योग व कारखाना इत्यादि लगाने के लिए हिमाचल मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा-118 के तहत जमीन लेनी पड़ती है। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद राज्य सरकार धारा-118 के तहत अनुमति देती है।