शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला वेतन ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष’ में दान किया है। बीते कल ही उन्होंने 101 करोड़ रुपए के इस कोष का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के सभी विधायक भी एक-एक लाख रुपए इस कोष में डालेंगे और BJP के विधायकों से भी यही अपील करेंगे। मगर मुख्यमंत्री ने एक लाख के बजाय अपना पूरा वेतन ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष’ में दान किया है। कोरोना काल में सुखविंदर सुक्खू और ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने अपनी सैलरी सबसे पहले कोविड फंड में देने का ऐलान किया था।
इस बार मुख्यमंत्री ने सुखाश्रय कोष में पूरी सेलरी देकर सामाजिक सरोकार के दायित्व की दिशा में अच्छी पहल की है। इससे और लोग भी इस कोष में दान करने के लिए प्रेरित होंगे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने अनाथ बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की मदद के मकसद से इस कोष की स्थापना की है। दावा किया जा रहा है कि इस कोष से न केवल बच्चों की पढ़ाई, बल्कि उनके घूमने-फिरने, जेब खर्च और नौकरी लगने तक सहायता की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार ही अनाथ बच्चों की माता है, सरकार ही पिता है। हम अपने बच्चों की तरह अनाथ बच्चों की देखभाल करेंगे। प्रदेश में लगभग 6 हजार बच्चे हैं, जिनके मां-बाप नहीं हैं। चाहे वे आश्रम में रह रहे हों या किसी रिश्तेदार के पास रह रहे हो। सभी की सहायता करेंगे। उन्होंने कहा कि यह योजना करुणा नहीं, बल्कि उनका अधिकार है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपना पहला वेतन ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष’ में किया दान
Jan 02, 2023