गढ़शंकर, 22 जून : देश-दुनिया में अपनी लेखनी के लिए मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय और अन्य के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अधिनियम यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने की दिल्ली के राज्यपाल की मंजूरी को डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट पंजाब ने विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी पर गंभीर हमला करार देते सभी काले कानूनों को रद्द करने की मांग की है।
इस बारे में बात करते हुए डीटीएफ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम देव सिंह, महासचिव मुकेश कुमार और वित्त सचिव अश्विनी अवस्थी ने कहा कि 2010 में कश्मीर मुद्दे को लेकर आयोजित एक सेमिनार में अरुंधति रॉय, प्रोफेसर शौकत हुसैन, प्रोफेसर गिलानी और वरवरा राव ने कश्मीर पर चर्चा की थी। मामले में कश्मीरी लोगों के अधिकारों की बात करते हुए उन्होंने भारतीय शासकों की नीतियों की आलोचना की और कश्मीरी इतिहास और त्रासदी के बारे में बताया। तीन साल पहले एक बीजेपी कार्यकर्ता द्वारा दिल्ली के राज्यपाल से की गई शिकायत के आधार पर धारा 196 के तहत मामला दर्ज करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब एक बार फिर दिल्ली के राज्यपाल ने अरुंधति रॉय और प्रोफेसर शौकत हुसैन के खिलाफ धारा 196 के तहत आरोप तहत आतंकवादी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के नए आदेश दिए गए हैं।
डीटीएफ नेता गुरपियार कोटली, राजीव बरनाला, बेअंत फुलेवाल और जगपाल बंगी ने कहा कि अरुंधति राय गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय के नरसंहार के बाद से मोदी सरकार की नीतियों की कट्टर आलोचक रही हैं और नरेंद्र मोदी की तानाशाह के रूप में पुकारती रही हैं। 14 साल पुराने भाषण को इस विश्वविख्यात लेखक पर मुक़दमा चलाने का आधार बनाना जहाँ निंदनीय कृत्य है, वहीं हर विरोधी आवाज़ को दबाने और आतंकित करने का ज़बरदस्ती कदम भी है। डीटीएफ नेताओं ने कहा कि संगठन इस धक्केशाही के खिलाफ जमहूर अधिकार सभा पंजाब अन्य लोकतांत्रिक ताकतों के साथ 26 जून को बरनाला में होने वाली बैठक में शामिल होगी और घोषित संघर्ष का हिस्सा भी बनेगी।