गढ़शंकर : जिला होशियारपुर के गांव कालेवाल बीत और जिला रोपड़ के गांव नानगरां और खेड़ा कमलोट की सीमा पर अवैध माईनिंग बड़े स्त्तर पर की गई है। इस तरह दोनों जिलों की सीमा पर हुई अवैध माईनिंग को लेकर संबंधित विभागों के अधिकारी इस पूरे मामले को रफा दफा करने में किस कदर जुटे है। इस मामले का खुलासा खुद बिभिन्न विभागों के अधिकारियों के बातों से हो जाता है। उलेखनीय है कि गत सप्ताह में अवैध माईनिग की खबरें छपने के बाद माईनिंग विभाग के एसडीओ पवन कुमार दुारा एक ब्यान जारी कर कह दिया कि उकत जगह जिला रोपड़ में पड़ती है। जबकि उकत जगह की निशानदेही ही नहीं करवाई गई। सिर्फ रिकार्ड देख कर ही कहा गया कि उकत अवैध माईनिंग की जगह जिला रोपड़ में पड़ती है। जबकि अगर जीपीएस से देखा जाए तो अवैध माईनिंग वाली जगह जिला होशियारपुर के कालेबीत में भी पड़ती है। जबकि अगर जीपीएस से देखा जाए तो अवैध माईनिंग वाली जगह जिला होशियारपुर के कालेबीत में भी पड़ती है। हालांकि यह निशानदेही के बाद ही साफ होगा कि अवैध माइनिंग वाली जगह कालेवाल बीत और जिला रोपड़ में कितनी कितनी पड़ती है।
माईनिग विभाग के एसडीओ पवन कुमार : जेई को राजस्व विभाग के पटवारी को भेजा था तो उनकी रिर्पोट के मुताबिक उकत अवैध माईनिंग वाली जगह जिला रोपड़ में पड़ती है। जव उनसे पूछा गया कि क्या वहां निशानदेही की गई तो कहा यह तो जेई को पता होगा। दूसरा स्वाल कि अगर माईनिंग जिला रोपड़ मे ंहुई तो क्या सबंधित जिले के संबंधित जिले के अधिकारियों को सूचित किया गया। जिसके उन्होंने जबाव नहीं दिया।
माईनिंग विभाग के जेई बरिंद्रजीत सिंह : कोई निशानदेही नहीं की गईए पटवारी ने अकस और अन्य कागजात देख बता दिया कि माईनिंग वाली जगह जिला रोपड़ में है। लेकिन निशानदेही के बिना जंगल में कैसे पता चला कि अवैध माईनिंग वाली जगह जिला होशियारपुर या रोपड़ में पड़ती है तो उन्होंनें कहा कि हम दोबारा जाकर देख लेगें।
पटवारी नवजोत सिंह : निशानदेही नहीं की गई, अकस(लट्ठा) देखकर ही बता सकते कहा कि उकत अवैध माईनिंग वाली जगह जिला होशियारपुर में नहीं। जव उनसे पूछा गया कि यह कैसे जंगल में पता चल गया कि उकत जगह जिला होशियारपुर के गांव कालेवाल बीत की नहीं तो कहते एक पुराना पटवारी साथ था तो उसने भी यहीं कहा।
सरपंच मंगत सिंह दियाल : कोई निशानदेही नहीं हुई और ना ही हमें इस संबंध में किसी ने सूचित किया। लोग कह रहे है कि जंगल में अवैध माईनिंग हुई है। निशानदेही के बाद ही पता चलेगा कि एकत एरिया कहां पड़ता है।