कोटकपूरा : गांव कोटसुखिया के चार साल पुराने बाबा दयाल दास हत्याकांड में आईजी फरीदकोट के नाम पर शिकायतकर्ता को डरा धमका कर 20 लाख रुपये रिश्वत वसूलने के मामले में फरार चल रहे फरीदकोट के तत्कालीन एसपी गगणेश कुमार शर्मा व एक अन्य जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार ने मंगलवार को फिरोजपुर स्थित विजिलेंस दफ्तर में आत्मसमर्पण कर दिया।
दोनों ही आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं जिला अदालत व उच्च न्यायालय से रद्द हो चुकी हैं। इस बीच विजिलेंस दोनों की गिरफ्तारी की कोशिश में जुटी थी। विजिलेंस ने दोनों को बुधवार को फरीदकोट की अदालत में पेश करेगी।
जानकारी के अनुसार गांव कोटसुखिया के बाबा दयाल दास हत्याकांड में मुख्य आरोपी को क्लीन चिट मिलने के बाद शिकायतकर्ता बाबा गगन दास ने फरीदकोट रेंज के आईजी के पास नए सिरे से पड़ताल करने का आवेदन दिया था। इस पर आईजी ने एसपी गगणेश कुमार शर्मा की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया। उक्त एसआईटी ने शामिल एसपी के अलावा डीएसपी फरीदकोट सुशील कुमार व आईजी दफ्तर के एसआई खेमचंद पराशर ने दो अन्य प्राइवेट व्यक्तियों महंत मलकीत दास व जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार के साथ मिलकर बाबा गगन दास से हत्याकांड में बाबा जरनैल दास को दोबारा नामजद करने के लिए 50 लाख की मांग की। रिश्वत के लिए पुलिस अधिकारियों ने बाबा गगन दास को डराना-धमकाना भी शुरू किया और 35 लाख रुपये में सौदा करके 20 लाख की वसूली भी कर ली।
रिश्वत लेकर भी जब बाबा जरनैल दास पर कार्रवाई ना हुई तो बाबा गगन दास ने पंजाब सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक हेल्पलाइन व डीजीपी पंजाब से शिकायत कर दी। इस शिकायत पर पड़ताल के लिए डीआईजी फिरोजपुर की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई। एसआईटी की रिपोर्ट के बाद पिछले साल जून माह में थाना सदर कोटकपूरा में एसपी, डीएसपी और एसआई समेत बाकी दोनों प्राइवेट व्यक्तियों पर केस दर्ज किया गया और केस विजिलेंस को सौंप दिया गया। इस मामले में डीएसपी सुशील कुमार को विजिलेंस गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि एसआई ने विजिलेंस और महंत मलकीत दास ने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।
विवाद में घिरे है तत्कालीन आईजी प्रदीप कुमार यादव : 20 लाख के रिश्वत प्रकरण में फरीदकोट के तत्कालीन आईजी प्रदीप कुमार यादव भी विवाद में घिरे हैं। चूंकि इस केस में नामजद महंत मलकीत दास को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है जिन्होंने अदालत में दर्ज करवाए बयान में खुलासा किया था कि यह रिश्वत आईजी के नाम पर नहीं बल्कि उनकी सहमति से वसूली गई थी। इस बयान के आधार पर विजिलेंस आईजी पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।