होशियारपुर/दसूहा/दलजीत अजनोहा : दसूहा के कृष्णा कॉलोनी में आवारा कुत्तों का बढ़ता खतरा लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। खासकर छोटे बच्चों को स्कूल या खेलने के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है क्योंकि गलियों में घूमते ये कुत्ते बच्चों को देखकर भौंकते हैं, डराते हैं और कभी-कभी दौड़ा भी लेते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ कुत्ता प्रेमी इन कुत्तों को रोज़ अपने घरों के बाहर खाना खिलाते हैं और तर्क देते हैं कि इससे घर की सुरक्षा होती है। मगर इसके चलते ये आवारा कुत्ते स्थायी रूप से उन्हीं गलियों में बस गए हैं और राहगीरों व बच्चों के लिए डर का कारण बन गए हैं। जब कोई इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर खाना न देने को कहता है, तो वे उल्टा बहस करते हैं और मामला बिगड़ जाता है।
इस गंभीर मुद्दे को वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता संजीव कुमार ने प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने नगर परिषद दसूहा से मांग की है कि इस मामले में तुरंत व प्रभावी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि “जानवरों के प्रति दया ज़रूरी है, मगर बच्चों की सुरक्षा उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।” उन्होंने नसबंदी और पुनर्वास अभियान चलाने और फीडिंग को नियंत्रित करने के लिए उचित व्यवस्था की मांग की है।
इस संदर्भ में नगर परिषद दसूहा के कार्यकारी अधिकारी कंवलजिंदर सिंह ने बताया कि परिषद ने इस समस्या से निपटने के लिए पहले ही एक प्रस्ताव पास कर दिया है, और होशियारपुर स्थित एक संस्थान के साथ अनुबंध किया गया है जो इन कुत्तों की नसबंदी करेगा।
EO कंवलजिंदर सिंह ने कुत्ता प्रेमियों से अपील की कि वे सार्वजनिक स्थानों पर भोजन न कराएं, बल्कि अपने घरों या परिसरों में डॉग हाउस बनाकर वहीं पर उन्हें भोजन दें ताकि सार्वजनिक सुरक्षा बनी रहे – EO कंवलजिंदर सिंह
यहां यह बताना महत्वपूर्ण होगा कि माननीय अदालत ने एक आदेश दिया है कि अगर किसी व्यक्ति को आवारा कुत्ते काटता है, तो नगर परिषद उसे 10,000 रुपये प्रति काटने पर मुआवजा देने की जिम्मेदारी निभाएगी।
यह मुद्दा अब केवल पशु प्रेम या विरोध का नहीं, बल्कि जन सुरक्षा और बच्चों की मानसिक व शारीरिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, जिस पर प्रशासन को शीघ्र, सख्त और संवेदनशील कार्रवाई करनी चाहिए।