चंडीगढ़, 25 दिसंबर । पंजाब में आतंकवाद के दौरान फर्जी मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को सीबीआई कोर्ट ने तत्कालीन तीन पुलिस अधिकारियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान दिसंबर 2021 में एक आरोपित पुलिसकर्मी अर्जुन सिंह की मृत्यु हो गई थी। अदालत के फैसले के बाद पीड़ितों के परिवार ने जहां स्वागत किया है, वहीं दोषी पुलिस अधिकारी इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की तैयारी में जुट गए हैं।
मामला वर्ष 1992 में तरनतारन से जुड़े दो युवकों के अपहरण, फर्जी मुठभेड़ और हत्या का है जिसमें मंगलवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन थाना सिटी तरन तारन के प्रभारी गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह और पुलिस मुलाजिम हंस राज सिंह को धारा 302 और 120बी के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। एडवोकेट सरबजीत सिंह वेरका ने बताया कि दोषियों पर साढ़े सात लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। अगर जुर्माना नहीं भरा तो उन्हें तीन साल और जेल में बिताने पड़ेंगे। सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक 18 नवंबर 1992 को जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को एसएचओ गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने उन्हें अगवा कर लिया था।
अपहरण से पहले पुलिस ने घर पर फायरिंग की और गोली लगने से मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई। इसी तरह गुरनाम सिंह उर्फ पाली को गुरबचन सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उनके घर से उनका अपहरण कर लिया। फिर 30 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने फर्जी पुलिस मुठभेड़ में हत्या कर दी थी। इस संबंध में पंजाब पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में बताया गया है कि गुरबचन सिंह अन्य आरोपित व्यक्तियों और पुलिस अधिकारियों के साथ 30 नवंबर 1992 की सुबह गश्त के दौरान एक युवक को एक वाहन में यात्रा करते हुए देखा और तरनतारन के पास संदिग्ध रूप से उक्त व्यक्ति को पकड़ लिया, जिसने अपनी पहचान गुरनाम सिंह पाली बताई। पूछताछ के दौरान, उसने रेलवे रोड, टीटी और गुरनाम में दर्शन सिंह के प्रोविजन स्टोर पर हथगोले फेंकने में अपनी संलिप्तता कबूल की।
जब गुरनाम सिंह पाली को पुलिस बेहला बाग में कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने के लिए ले गई, तो बाग के अंदर से आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर गोलियां चला दीं और पुलिस बल ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की। गुरनाम सिंह उर्फ पाली बचने के इरादे से गोलियों की दिशा में भागा, लेकिन क्रॉस फायरिंग में मारा गया। जिसकी पहचान जगदीप सिंह उर्फ माखन के रूप में हुई है। दोनों शवों का श्मशान घाट में ‘लावारिस’ मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सीबीआई की जांच में यह चीज आई थी सामने मृतक जगदीप सिंह मक्खन पंजाब पुलिस में सिपाही था, और मृतक गुरनाम सिंह पाली पंजाब पुलिस में एसपीओ था। अदालत में शपथ पत्र में कहा गया है कि वर्ष 1992 के दौरान, पुलिस स्टेशन तरनतारन के एरिया में गुरबचन सिंह, रेशम सिंह, हंस राज सिंह और अर्जुन सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा साजिश के तहत हत्या की गई थी।