*ऊना में सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण योजना पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित : अभिषेक जैन बोले ….विभागीय आंकड़े नीति निर्धारण और योजनाओं के फंड आवंटन में निभाते हैं अहम भूमिका*

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सांख्यिकीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों, आंकड़ों की सटीकता और समयबद्धता पर दिया जोर
एएम नाथ।  एएम नाथ।  ऊना, 29 सितंबर। सांख्यिकीय सुदृढ़ीकरण योजना के अंतर्गत आज(सोमवार) को ऊना में यूज़र्स-प्रोड्यूसर और हितधारक परामर्श एवं डॉटा संग्रहण को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारम्भ प्रदेश के आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग, योजना, वित्त और लोक निर्माण विभाग के सचिव अभिषेक जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
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कार्यशाला को संबोधित करते हुए अभिषेक जैन ने राज्य की सांख्यिकीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला हिमाचल प्रदेश की सांख्यिकीय प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह डेटा उत्पादकों और उपयोगकर्ताओं के मध्य एक सशक्त संवाद को प्रोत्साहित करती है। यह पहल सांख्यिकीय निष्कर्षों की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सुगमता में सुधार का मार्ग प्रशस्त करती है जिससे प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए साक्ष्य आधारित निर्णय-निर्माण को समर्थन मिलता है। उन्होंने कहा कि उप-जिला स्तर पर अत्यंत सूक्ष्म और विस्तृत आंकड़ों की उपलब्धता, सटीक योजना निर्माण, लक्षित हस्तक्षेप तथा सरकारी योजनाओं की वास्तविक समय में निगरानी के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्हों कहा कि यह प्रक्रिया शासन को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि जिला के विभिन्न विभागों से प्राप्त आंकड़े राज्य एवं केंद्र स्तर पर नीति-निर्धारण, विकास योजनाओं की प्राथमिकता तय करने तथा विभिन्न योजनाओं में फंड आवंटन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की सटीकता और समयबद्धता बेहद आवश्यक है, ताकि वे जमीनी वास्तविकता बता सकें।
सचिव ने जिला के सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने विभाग से संबंधित सही आंकड़े पूरी गंभीरता, जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ तैयार कर निर्धारित समय सीमा के भीतर उपलब्ध करवाएं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की विश्वसनीयता पर ही सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की दिशा और प्रभावशीलता निर्भर करती है। सही आंकड़े न केवल बेहतर योजना निर्माण में सहायक होते हैं बल्कि आम जनता तक योजनाओं के वास्तविक लाभ को पहुंचाने में भी मददगार साबित होते हैं।
इससे पूर्व, संयुक्त निदेशक, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग अनुपम शर्मा ने मुख्यातिथि एवं अन्य का स्वागत किया। साथ ही, उन्होंने सांख्यिकी कार्यों में आने वाली नई चुनौतियों का सामना करने के लिए निरंतर क्षमता निर्माण तथा आंकड़ा उत्पादकों और उपयोगकर्ताओं के मध्य सहयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया।
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विभाग के आर्थिक सलाहकार डॉ. विनोद राणा ने साक्ष्य आधारित योजना और निगरानी को सक्षम बनाने के लिए जमीनी स्तर पर सांख्यिकीय क्षमता बढ़ाने की बढ़ती आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर सहायक आयुक्त ऊना वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि केवल डेटा की सत्यनिष्ठा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के माध्यम से ही हम सुदृढ़़ आर्थिक शासन और सतत विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।
कार्यशाला के प्रारम्भिक सत्रों में दो पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतियां दी गईं। पहली प्रस्तुति राज्य आय अनुभाग द्वारा दी गई गई जिसमें सकल राज्य घरेलू उत्पाद के आकलन की तैयारी के लिए डेटा आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला गया जबकि दूसरी प्रस्तुति अधिकारिक सांख्यिकी अनुभाग द्वारा प्रस्तुत की गई जिसमें हिमाचल प्रदेश में जिला सुशासन सूचकांक के माध्यम से जमीनी स्तर पर सुशासन का आकलन विषय पर जानकारी प्रदान की गई। दूसरे सत्र में दोपहर बाद एक प्रश्नोत्तरी और ओपन हाउस चर्चा भी आयोजित की गई।
इस मौके पर एएसपी सुरेंद्र कुमार, सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय सांख्यिकी क्षेत्रीय कार्यालय भारत सरकार हमीरपुर के प्रतिनिधि तथा प्रदेश भर के विशेषज्ञों सहित सांख्यिकी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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