होशियारपुर, 01 नवंबर: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से गेंहू की बुआई के लिए डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में अन्य फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों का उपयोग करने की अपील पर मुख्य कृषि अधिकारी दीपइंदर सिंह ने गेहूं की बुआई के लिए अन्य फॉस्फोरस तत्वों वाले उर्वरकों के उपयोग का सुझाव दिया।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि डीएपी में 46% फॉस्फोरस और 18% नाइट्रोजन की मात्रा होती है, जो कि फसलों के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डीएपी का एक प्रमुख विकल्प एनपीके 12:32:16 खाद हो सकता है, जिसमें 32% फॉस्फोरस, 12% नाइट्रोजन और 16% पोटाश की मात्रा होती है। डीएपी के एक बोरे के स्थान पर डेढ़ बोरा एनपीके 12:32:16 का उपयोग किया जा सकता है। यह विकल्प लगभग उतनी ही फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की आपूर्ति करता है जितनी डीएपी करता है, साथ ही 23 किलोग्राम पोटाश भी प्रदान करता है। इसके अलावा, एनपीके 10:26:26 जैसे अन्य प्रकार के एनपीके खादों का भी विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि डीएपी के तीसरे विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसमें 16% फॉस्फोरस तत्व के साथ 18 किलोग्राम सल्फर होता है, जो गेहूं जैसी फसलों के लिए लाभकारी है। एसएसपी के तीन बोरे फॉस्फोरस की पूर्ति के साथ सल्फर की भी आपूर्ति करते हैं। ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (टीएसपी) भी एक नया विकल्प है, जिसमें डीएपी के समान 46% फॉस्फोरस तत्व की मात्रा पाई जाती है। यह एक उच्च फॉस्फोरस खाद है और किसान इसे पहली बार आजमा सकते हैं।
दीप इंदर सिंह ने कहा कि यदि सिंगल सुपर फॉस्फेट या ट्रिपल सुपर फॉस्फेट का उपयोग किया जाता है, तो बुआई के समय प्रति एकड़ 20 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना भी आवश्यक है, ताकि फसल की नाइट्रोजन की आवश्यकता पूरी की जा सके। उन्होंने कहा कि यह जानकारी किसानों के लिए डीएपी की अनुपलब्धता की स्थिति में विकल्पों के रूप में उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने सभी किसानों से अनुरोध किया कि वे इन सिफारिशों के अनुसार अपनी फसलों की उर्वरक आवश्यकता पूरी करें और अपनी भूमि की उर्वरता को बनाए रखें।