एएम नाथ। धर्मशाला, 2 जुलाई : उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज धर्मशाला विधानसभा में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही को अब ऑनलाइन किया जाना चाहिए, ताकि प्रदेश और देशभर के नागरिक देख सकें कि लोकतंत्र का यह मंदिर कैसे कार्य करता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा देश की पहली डिजिटल विधानसभा बनी थी, और अब समय आ गया है कि इसे पूर्ण रूप से ऑनलाइन कर एक नई मिसाल पेश की जाए।
उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से विशेष आग्रह किया कि प्रदेश की विधानसभा की कार्यवाही को ऑनलाइन किया जाए ताकि पूरे देश में यह एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत हो सके। उन्होंने कहा, “जमाना बदल रहा है, तकनीक के इस दौर में पारदर्शिता और जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए विधानसभा की कार्यवाही को ऑनलाइन करना समय की मांग है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने पूरे प्रदेश का दौरा कर नशे के खिलाफ एक सशक्त वातावरण तैयार किया है। उन्होंने सराहना की कि राज्यपाल द्वारा नशे के विरुद्ध शुरू की गई मुहिम को प्रदेश सरकार के प्रयासों के साथ समन्वय मिला है, जिससे यह अभियान और अधिक प्रभावशाली हुआ है। कानून निर्माण से लेकर अपराधियों की धरपकड़ तक, राजभवन का सहयोग सराहनीय रहा है।
डॉ. वाई. एस. परमार को याद करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश के निर्माता रहे हैं, जिन्होंने इस पहाड़ी राज्य को आकार देने के लिए अथक संघर्ष किया। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के योगदान को भी ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि आधुनिक हिमाचल के निर्माण में उनका अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उपमुख्यमंत्री ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी राज्यों के पास सीमित संसाधन हैं। हाईड्रो पावर, पर्यटन और आबकारी जैसे क्षेत्रों से आय होती है।
धर्मशाला में स्थित विधानसभा भवन को लेकर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह भवन सिर्फ कुछ दिनों के लिए उपयोग में आने के बावजूद अपनी गरिमा और उद्देश्य में पूर्ण है। उन्होंने कहा कि जैसे शिमला में राष्ट्रपति भवन साल में कुछ समय ही सक्रिय रहता है, वैसे ही देश के अन्य राज्यों—जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर आदि—में भी विधानसभा सत्र सीमित अवधि के लिए ही चलते हैं। ऐसे में कम अवधि के लिए उपयोग में आने पर तपोवन विधानसभा की महत्वत्ता पर सवाल करना उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि धर्मशाला की इस विधानसभा का उपयोग विधायकों के प्रशिक्षण के लिए किया जाना चाहिए और इसके लिए पूर्व में एक प्रस्ताव भी रखा गया था, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने सुझाव दिया कि इस ऐतिहासिक स्थल को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।