चंडीगढ़ : बालीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत मानहानि के एक मामले में बठिंडा की अदालत में पेश हुईं. वहां उन्हें माफ़ी मांगने और ‘गलतफहमी पर खेद जताने’ के बाद जमानत मिल गई. 78 वर्षीय किसान मोहिंदर कौर के लिए यह पल एक भावनात्मक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
मोहिंदर कौर पंजाब के बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जंडियान गांव की निवासी हैं और 13 एकड़ ज़मीन की मालिक हैं. हालांकि उनका घर बेहद साधारण है. छतों को लकड़ी के लट्ठों से सहारा दिया गया है और वह आज भी हर सुबह चूल्हे पर खाना बनाकर अपने 80 वर्षीय बीमार पति लभ सिंह और बिस्तर पर पड़े बेटे गुरदास की सेवा करती हैं.। मोहिंदर कौर बताती हैं, ’13 एकड़ ज़मीन होना उतना नहीं है जितना लोग सोचते हैं। किसान की आमदनी बहुत कम होती है। हमने पहले कपास बोई थी, पर फसल खराब हो गई. अब धान उगाते हैं. मैंने तीन बेटियों और एक बेटे की शादी की है और सारी ज़िंदगी मेहनत की है. अब यह लड़ाई हमारी इज़्जत की है, पीछे नहीं हटेंगे।
उनकी बहू का निधन 18 महीने पहले संक्रमण से हो गया था, और बेटा तीन महीने से बिस्तर पर है. वह कहती हैं, ‘ज़िंदगी आसान नहीं है, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगी. घर का बोझ अब मेरे कंधों पर है।
किसान आंदोलन से जुड़ा मामला : .यह मामला 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान का है. उस समय कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें एक बुज़ुर्ग महिला की तस्वीर के साथ दावा किया गया था कि किसान आंदोलन में पैसे लेकर लोग शामिल हो रहे हैं. कंगना ने उस महिला को ‘वही दादी जो टाइम मैगजीन में शामिल हुई थीं (शाहीन बाग की बिलकिस दादी)’ बताते हुए लिखा था कि ‘ये ₹100 में उपलब्ध हैं।
यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई, जिसके बाद मोहिंदर कौर ने इसे अपने सम्मान पर हमला बताते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया।
बीजेपी से जुड़े वकील लड़ रहे दादी की लड़ाई : मोहिंदर कौर का केस उनके वकील रघुबीर सिंह बेहनीवाल लड़ रहे हैं, जो लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं. वे कहते हैं, ‘मैं पार्टी से तब से जुड़ा हूं जब कंगना राजनीति में नहीं आई थीं. कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या मैं मोहिंदर कौर का पक्ष ठीक से रखूंगा, लेकिन मैंने कहा पंजाब की माताओं का अपमान मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा।
बेहनीवाल ने कहा, ‘हम किसी माफ़ी को स्वीकार नहीं करेंगे. मुकदमा अपनी पूरी तरह लड़ा जाएगा. किसान परिवार के लिए अदालत आना आसान नहीं होता, पर वे हर बार आते हैं जब भी मैं बुलाता हूं।
सोमवार को बठिंडा अदालत ने कंगना रनौत को जमानत दे दी, और अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. इस पूरी कहानी में एक ओर सितारे और सियासत हैं, तो दूसरी ओर एक बुज़ुर्ग किसान मां की इज़्जत और हिम्मत की लड़ाई, जिसने यह साबित किया कि गांव की मिट्टी में आज भी न्याय के लिए खड़े होने की ताकत बाकी है।
