चंड़ीगढ़ :कनाडा के खिलाफ अपना रुख सख्त करते हुए, भारत अपनी धरती पर आतंकी फंडिंग अभियानों के खिलाफ कनाडा की निष्क्रियता पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स(FATF) में जाने की तैयारी जुट गया है। भारत सरकार उन विकल्पों की तलाश कर रही है, जिसके जरिए कनाडा को एफएटीएफ के कटघरे में खड़ा किया जा सके। भारत ने बार बार खालिस्तानी आतंकियों की फंडिंग को लेकर पुख्ता और विश्वसनीय सबूत पेश किए हैं, लेकिन अभी तक कनाडा की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
लिहाजा, भारत पेरिस स्थित वॉचडॉग FATF के साथ “पुराने और नए सबूतों का एक डोजियर” साझा करने की योजना बना रहा है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए कानूनी, नियामक और ऑपरेशनल उपायों के कार्यान्वयन की देखरेख करता है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ भी यही तरीका अपनाया था, जिसकी वजह से पाकिस्तान को बार बार एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में भेजा गया है। हालांकि, कनाडा को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में भेजना इतना आसान तो नहीं होगा, लेकिन अगर भारत ये कदम उठाता है, तो कनाडा के खिलाफ ये बहुत बड़ा एक्शन होगा और एफएटीएफ की कमेटी कनाडा के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए मजबूर हो जाएगी।
कनाडा को एफएटीएफ में लाने की तैयारी : दरअसल, भारत और कनाडा के बीच उस वक्त संबंध काफी खराब हो गये थे, जब 18 सितंबर को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के तार भारत सरकार के खुफिया एजेंसियों से जोड़ने की कोशिश की थी। हरदीप सिंह निज्जर का राजनीतिक संगठन, भारतीय राज्य पंजाब में खालिस्तान नामक एक मातृभूमि चाहता है। खालिस्तान आंदोलन बड़े पैमाने पर प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे पंजाब में बहुत कम समर्थन प्राप्त है। भारत सरकार के एक सूत्र के हवाले से जा रहा है , कि “नई दिल्ली से सिर्फ 41 कनाडाई डिप्लोमेट्स को निकालना ही पर्याप्त नहीं है, क्योंकि भारत की चिंता कनाडा की धरती पर फल-फुल रहे खालिस्तानी संगठन हैं, जिन्हें लगातार फंडिंग और राजनीतिक समर्थन प्राप्त होते रहते हैं।” लिहाजा, भारत सरकार के अधिकारी एक एक सबूतों को जोड़ते हुए डोजियर तैयार कर रहे हैं, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थिति एफएटीएफ के अधिकारियों को सौंपा जा सकता है।
भारतीय विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है, कि कनाडा ने भारत के अलगाववादियों और आतंकियों को पनाह दे रखा है और आतंकियों के लिए कनाडा एक सुरक्षित देश बन गया है। कनाडा-भारत संबंधों में आपसी आरोप-प्रत्यारोप और राजनयिक निष्कासन के साथ लगातार तनाव बना हुआ है। भारत ने देश में कनाडा की राजनयिक उपस्थिति को लगभग दो-तिहाई कम करने की मांग की है। भारतीय राजनयिक अधिकारियों के अनुसार, ट्रूडो सरकार भारत पर तनाव बढ़ाने और कनाडाई राजनयिक उपस्थिति के संबंध में वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर वैश्विक समुदाय का ध्यान आतंकी गतिविधियों के मूल मुद्दे से हटाने की कोशिश कर रही है। दरअसल, भारत ने अपनी स्थिति जोरदार तरीके से समझाते हुए कनाडा के आरोपों को तुरंत खारिज कर दिया। साथ ही, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने का फैसला लिया है, कि कनाडाई धरती पर आतंकी फंडिंग के मुख्य मुद्दे से दुनिया का ध्यान नहीं भटक जाए, लिहाजा भारत ने कनाडा की गिरहेबां पकड़ रखी है।
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर नई दिल्ली और ओटावा के बीच राजनयिक संबंधों में खटास के बीच भारत पहले ही “आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने” के लिए कनाडा पर कड़ी आलोचना कर चुका है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले दिनों कहा था, कि बड़ा मुद्दा आतंकवाद, आतंक-वित्तपोषण और विदेशों में आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने का है। बागची ने कहा था, कि “आतंकवाद को हमारे पश्चिमी पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित और समर्थित किया जा रहा है, लेकिन सुरक्षित पनाहगाह और संचालन के लिए स्थान कनाडा सहित विदेशों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं।”
क्या है एफएटीएफ : आपने देखा होगा कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के प्रकरण में कनाडा की भूमिका क्या है. या इससे पहले आपने देखा होगा कि किस तरह से जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे तंजीमों के संबंध में पाकिस्तान की भूमिका कैसी रहती है, दहशतगर्दों के समर्थक देशों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई के लिए वैश्विक स्तर पर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह संगठन उन देशों पर नजर रखने के लिए बनाया गया जो दहशतगर्दों को हर संभव मदद देने का काम करते हैं। पहले एफएटीएफ का काम सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था। लेकिन बाद में वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन, भ्रष्टाचार और टेरर फाइनेंसिंग को भी जोड़ दिया गया।
पेरिस में इसका मुख्यालय है और इसे ग्रुप डी एक्शन फाइनेंसियर भी कहा जाता है। दुनिया के करीब करीब सभी विकसित देश इसका समर्थन या इसके सदस्य हैं। 2012 के एक आंकड़े के मुताबिक इसमें कुल 39 सदस्य देश (विश्व बैंक और यूनाइटेड नेशंस भी शामिल) हैं। एफएटीएफ का सदस्य बनने के लिए किसी भी देश का सामरिक महत्व होना चाहिए। सामरिक महत्व में बड़ी जनसंख्या, जीडीपी का बड़ा होना, विकसित बैंकिंग व्यवस्था और इंश्योरेंस सेक्टर का होना शामिल है। सदस्य देशों के लिए यह जरूरी है कि वो वैश्विक तौर पर स्वीकृत वित्तीन मानकों का पालन करते हों। इसके साथ ही किसी और अंतरराष्ट्रीय संगठन के हिस्सा हों।