कनाडा के चुनाव में लिबरल पार्टी को जीत मिली है। भारत के लिहाज से इस चुनाव की सबसे अहम बात यह है कि New Democratic Party को चुनाव में करारी हार मिली है। NDP के नेता जगमीत सिंह खुद भी चुनाव हार गए हैं। हार के बाद जगमीत सिंह ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया।
जगमीत सिंह के नेतृत्व में NDP को सिर्फ 7 सीटें मिलीं, जो हाउस ऑफ कॉमंस में ऑफिशियल पार्टी के दर्जे के लिए जरूरी 12 सीटों से भी कम हैं। उनकी पार्टी ने 4 साल तक लिबरल पार्टी का समर्थन किया था। जगमीत सिंह अपनी सीट बर्नबी सेंट्रल में तीसरे नंबर पर रहे। इस चुनाव में NDP का समर्थन सिर्फ 6% रह गया है। चुनाव में सिंह की पार्टी NDP ने लिबरल पार्टी के साथ गठबंधन किया था।
जगमीत सिंह ने कुछ साल पहले कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग की थी।
खालिस्तान के समर्थक हैं जगमीत सिंह
जगमीत सिंह खालिस्तान के बड़े समर्थक रहे हैं। 2023 में जब खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी और भारत और कनाडा के बीच बयानबाजी का दौर तेज था, तब जगमीत सिंह काफी मुखर थे। जगमीत सिंह ने आरोप लगाया था कि कनाडा के पास निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के सबूत हैं।
सिंह को कनाडा में सिख कट्टरपंथियों का समर्थक नेता माना जाता है। उन्होंने निज्जर की हत्या के दौरान हुए विवाद के बाद कनाडा से भारतीय राजनीतिकों को निष्कासित किए जाने के फैसले का समर्थन किया था।
2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने जगजीत सिंह को भारत का वीजा देने से इनकार कर दिया था। सिंह ने अपना राजनीतिक करियर 2011 में शुरू किया था। सिंह पर खालिस्तान समर्थकों की रैली में शामिल होने के आरोप भी लगते रहे हैं।
जगमीत सिंह की हार के बाद ऐसा माना जा रहा है कि कनाडा में खालिस्तान आंदोलन कमजोर पड़ेगा। कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा भारत के खिलाफ बयानबाजी करने, हिंदू-सिख समुदायों के बीच नफरत और दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप लगते हैं।