चंडीगढ़। पंजाब में जहां एक ओर किसान अपनी मांगों को लेकर अड़िग हैं। वहीं, दूसरी ओर किसान नेताओं के व्यवहार से मुख्यमंत्री भगवंत मान भी काफी कड़े नजर आ रहे हैं। बीते सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) राजनीतिक की चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ दो घंटे चली बैठक बेनतीजा रही। इस बैठक के दौरान सीएम भगवंत मान बीच में ही चले गए थे।
इस बाबत प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा यह दावा किए गया था कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बैठक के दौरान गुस्सा हो गए थे। अब इस पर भगवंत मान ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने बैठक इसलिए रद कर दी क्योंकि किसान बातचीत के बीच अपना विरोध जारी रखना चाहते थे।
सीएम मान ने जताई चिंता
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में किसानों द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों और नाकेबंदी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘रेल रोको’ और ‘सड़क रोको’ जैसे इन विरोध प्रदर्शनों से राज्य को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
मुख्यमंत्री मान ने आगे चेतावनी दी कि वह कार्रवाई करने से नहीं डरते हैं, लेकिन 3.5 करोड़ लोगों के संरक्षक के रूप में उन्हें सभी के हितों पर विचार करना होगा। मान ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने किसानों से कहा कि आप हर दिन ‘रेल रोको’, ‘सड़क रोको’ प्रदर्शन करते हैं.. इससे पंजाब को भारी नुकसान हो रहा है। राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है। पंजाब ‘धरना’ का राज्य बनता जा रहा है।
मेरी नरमदिली को यह मत समझिए कि मैं कार्रवाई नहीं करता…मैं 3.5 करोड़ लोगों का संरक्षक हूं।
डर के कारण नहीं बुलाई थी बैठक
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि मुझे सभी का ख्याल रखना है… बैठक में मैंने उनसे अगले दिन (5 मार्च को) विरोध के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि यह जारी रहेगा। तो, मैंने उनसे कहा कि आपने मुझे एक घंटे तक क्यों बैठाए रखा?…मैं वास्तव में उठकर चला गया…मैंने उनसे कहा कि मैंने डर के कारण बैठक नहीं बुलाई, मैं उनसे पहले भी मिल चुका हूं, मैं आपका दोस्त हूं…लेकिन अगर आप मुझसे कहते हैं कि बैठक के साथ-साथ मोर्चा भी जारी रहेगा, तो मैं बैठक रद्द कर देता हूं और आप मोर्चा जारी रख सकते हैं।
इससे पहले, प्रदर्शनकारी किसानों ने दावा किया था कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान चंडीगढ़ में उनके साथ बैठक के दौरान “गुस्सा” हो गए थे और उन्हें “उकसाया” था। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने मुख्यमंत्री मान को असामान्य रूप से क्रोधित बताया और कहा कि उन्होंने हाई लेवल मीटिंग में भी कभी ऐसा गुस्सा नहीं देखा।
किसान नेता बलबीर ने कहा…
बैठक अच्छी चल रही थी और हम कई मुद्दों पर सहमति बना रहे थे। आठवें मुद्दे पर सहमति बनने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि वह डॉक्टर के पास अपॉइंटमेंट के कारण जाना चाहते हैं। फिर उन्होंने 5 मार्च की हमारी योजना के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि हम बातचीत कर रहे हैं; फिर भी आप विरोध क्यों जारी रखना चाहते हैं? वह बहुत क्रोधित हो गए और यह कहते हुए बैठक से चले गए कि ‘जो करना है करो’… मैंने प्रधानमंत्री स्तर पर वार्ता की है, लेकिन मैंने कभी किसी नेता को इतना क्रोधित नहीं देखा। हम (5 मार्च को) चंडीगढ़ आएंगे।”
किसान नेता रमिंदर पटिला ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा… हमारे पास 18 मांगों का ज्ञापन था, और हम 8वें बिंदु पर पहुंच चुके थे, जब उन्होंने सीधे तौर पर हमसे 5 मार्च को विरोध प्रदर्शन न करने के लिए कहा। अगर वह हमारी मांगों को नहीं सुनेंगे, तो हमें अपनी बात कहने का अधिकार है। अगर उन्हें लगता है कि सिर्फ बैठक करके ही चीज़ें खत्म हो जाएंगी, तो ऐसा नहीं है। सीएम द्वारा प्रदर्शित व्यवहार निंदनीय था। उन्होंने बैठक को बीच में ही छोड़ दिया। सीएम को इस तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए। हम 5 मार्च को वापस आएंगे और
सीएम को हमारे साथ बैठने के लिए मजबूर करेंगे... हम गहन चर्चा चाहते थे, और अगर वह हमारी चर्चा को कम करने या निर्देशित करने की कोशिश करते हैं, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे… उन्होंने हमें इस बैठक के लिए आमंत्रित किया था… हम अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बैठक में क्या हुआ था
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) राजनीतिक की सोमवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ दो घंटे चली बैठक बेनतीजा रही। सौहार्दपूर्ण चल रही बैठक में तलखी तब आई जब मुख्यमंत्री ने किसानों से चंडीगढ़ में पांच मार्च से शुरू किए जा रहे धरने के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि इस तरह के धरनों-प्रदर्शनों से लोगों को परेशानी होती है। राज्य में लोग निवेश करने तक नहीं आएंगे।
इस पर किसान नेताओं ने कहा कि वे इस पर बाद में सोचेंगे। भाकियू उगराहां के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि आपने किसानों के मोर्चे के डर से ही बैठक के लिए बुलाया है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह उनके मोर्चे के डर से नहीं, बल्कि उनकी मांगें जानने के लिए आए हैं। अगर आपने धरना ही लगाना है तो फिर कोई मांग नहीं मानी जाएगी। यह कहते ही वे बैठक से चले गए। किसान नेताओं ने सरकार के साथ बैठक समाप्त होने के बाद घोषणा कर दी कि वे पांच मार्च से चंडीगढ़ में सात दिवसीय धरना शुरू करेंगे।