नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में पार्किंग विवाद को लेकर एक कर्नल और उनके बेटे पर पंजाब पुलिस के अधिकारियों के कथित हमले से जुड़े मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के खिलाफ दायर याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया।
इसके साथ ही न्यायालय ने कहा, ”आप अपने घर में चैन की नींद सो रहे हैं क्योंकि सेना सीमा पर तैनात है।”
कथित घटना 13 और 14 मार्च की दरमियानी रात को हुई जब कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाथ और उनका बेटा पटियाला में सड़क किनारे एक ढाबे पर खाना खा रहे थे।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ आरोपी पुलिस अधिकारियों द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।
”जब युद्ध चल रहा है, तब आप इन सैन्य अधिकारियों का महिमामंडन करते हैं… सेना के लोगों के लिए कुछ सम्मान रखें। आप अपने घर में चैन की नींद सो रहे हैं क्योंकि सेना शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर भी सीमा पर तैनात है…”
पीठ ने कहा, ”हम इस अपील को भारी जुर्माने के साथ खारिज करते हैं। इस तरह की अराजकता स्वीकार्य नहीं है। सीबीआई को इसकी जांच करने दीजिए…वे आपका बचाव करने जाते हैं, और राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे हुए वापस आते हैं।”
इस मामले में कर्नल बाथ की ओर से वकील सुमीर सोढ़ी पेश हुए।
आरोपी पुलिस अधिकारियों ने जांच सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के 16 जुलाई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।
अदालत का यह निर्देश उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच को लेकर चंडीगढ़ पुलिस को फटकार लगाने के दो दिन बाद आया है।
उच्च न्यायालय ने तीन अप्रैल को मारपीट मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस को सौंपी और उसे चार महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चंडीगढ़ पुलिस मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने में ‘विफल’ रही।
चंडीगढ़ के पुलिस अधीक्षक मंजीत श्योराण के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल द्वारा जांच की जा रही थी।
याचिका में कहा गया था कि इस मामले की जांच तीन अप्रैल, 2025 को चंडीगढ़ पुलिस को सौंप दी गई थी और यह अत्यंत निराशा की बात है कि प्राथमिकी दर्ज होने के साढ़े तीन महीने से अधिक समय बीत जाने और चंडीगढ़ पुलिस को जांच सौंपे जाने के तीन महीने बीत जाने के बावजूद अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
कर्नल बाथ ने पंजाब पुलिस के 12 जवानों पर पार्किंग विवाद को लेकर उन पर और उनके बेटे पर हमला करने का आरोप लगाया है और मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी-सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस के निरीक्षक रैंक के चार अधिकारियों और उनके हथियारबंद अधीनस्थों ने बिना किसी उकसावे के उन पर और उनके बेटे पर हमला किया, उनका पहचान पत्र और मोबाइल फोन छीन लिया और उन्हें ‘फर्जी मुठभेड़’ की धमकी दी – यह सब सार्वजनिक रूप से और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हुआ।
जांच चंडीगढ़ पुलिस को सौंपे जाने से पहले बाथ ने आरोप लगाया था कि पंजाब पुलिस के अधीन निष्पक्ष जांच असंभव है।