नई दिल्ली । काग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे अब ‘जाट’ फैक्टर वाला दावा किया है। दलित नेता ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा को जाट नेताओं पर भरोसा नहीं रहा, क्योंकि हरियाणा में उनका गैर जाट वाला फॉर्मूला सफल रहा।
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद छोड़ा लेकिन कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई नेता इसके पीछे किसी और वजह की आशंका जाहिर कर रहे हैं।
कभी भाजपा के टिकट पर दिल्ली के सांसद रहे उदित राज जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे लगातार वजह तलाशने में जुटे हैं। अब उन्होंने यह आरोप लगाया है कि जाट होने की वजह से जगदीप धनखड़ को हटाया गया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘धनकड़ जी सत्यपाल मलिक के बाद दूसरे बड़े जाट नेता हैं जिनका सफाया बीजेपी ने किया। शायद बीजेपी को जाट नेताओं पर विश्वास नहीं है।’ पूर्व सांसद ने कहा कि हरियाणा में नॉन-जाट फार्मूला हिट रहा वरना माना जाता था हरियाणा में जाट ही सीएम हो सकता है। जाट का वोट तो चाहिए लेकिन नेता नहीं। खैर यह बीजेपी की अपनी रणनीति है।’
राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश करने वाले कई विपक्षी सांसद, अचानक इस्तीफे के बाद उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं और उनके प्रति सहानुभूति का भाव प्रकट कर रहे हैं। दिलचस्प है कि उच्च सदन के ऐसे कई सांसदों की धनखड़ ने उनके आचरण को लेकर खिंचाई की थी। ऐसे सांसदों ने उनसे अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध किया। उनका मानना था कि एक ‘किसानपुत्र’ को सम्मानजनक विदाई नहीं दी जा रही है।
राज्यसभा का सभापति रहते हुए धनखड़ का कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से अक्सर टकराव होता था। खरगे ने आरोप लगाया था कि सभापति उन्हें सदन में सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश भी धनखड़ की आलोचना करते हुए कहा था कि उपराष्ट्रपति को ‘अंपायर’ की तरह तटस्थ रहना चाहिए। रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘सभापति राज्यसभा की कार्यवाही जिस पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित कर रहे हैं, उसे देखते हुए ‘इंडिया’ गठबंधन से जुड़े सभी दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’