चंडीगढ़, 26 नवंबर : संयुक्त किसान मोर्चा के परचम तले पंजाब के हजारों किसान बुधवार को दशहरा मैदान में एकत्र हुए और सरकार पर स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और बिजली (संशोधन) विधेयक, 2025 को वापस लेने सहित विभिन्न मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया।
प्रदर्शनकारी किसान अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एकत्र हुए थे।
पांच साल पहले 26 नवंबर को किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया था, जिसके परिणामस्वरूप तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक धरना दिया गया था।
बुधवार की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की और कजहेड़ी चौक (सेक्टर 42/43-52/53) से लेकर स्माल चौक (सेक्टर 42/43) और अटावा चौक (सेक्टर 35/36/42/43) तक कई सड़क मार्गों पर यातायात को प्रतिबंधित या परिवर्तित कर दिया।
विभिन्न मांगों के बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने मांग की कि सरकार को अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करते समय कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को बाहर रखना चाहिए।
किसान नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि उन्हें खबर मिली है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में शामिल किया जाएगा और वे इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करेंगे।
पटियाला ने कहा कि किसानों ने प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 को वापस लेने की मांग की, जिसका उद्देश्य “विद्युत वितरण क्षेत्र का निजीकरण करना” है।
उन्होंने मांग की कि पंजाब सरकार केंद्र को पत्र लिखकर विधेयक पर अपना विरोध दर्ज कराए और विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाए।
उन्होंने अगस्त-सितंबर में राज्य में आई भारी बाढ़ के दौरान फसलों और घरों को हुए नुकसान, और जान-माल के नुकसान के लिए मुआवजे में बढ़ोतरी की भी मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने पराली जलाने के आरोप में किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की और सीनेट चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों की मांग को स्वीकार करने की भी मांग की।
