रोहित राणा। शिमला : हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने सेली कंपनी को 64 करोड़ रुपये अपफ्रंट प्रीमियम के तौर पर अदा न करने पर उतनी ही संपत्ति के हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कंपनी को अपफ्रंट प्रीमियम 7 फीसदी ब्याज समेत याचिका दायर होने की तारीख से देने को कहा है। सरकार की ओर से पैसा जमा किए जाने के बाद अब भवन की नीलामी नहीं होगी। बता दें कि वर्ष 2009 में सरकार ने कंपनी को 320 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट आवंटित किया था। प्रोजेक्ट लाहौल-स्पीति में लगना था।
सरकार ने उस समय प्रोजेक्ट लगाने के लिए बीआरओ को सड़क निर्माण का कार्य दिया था। समझौते के अनुसार सरकार ने कंपनी को मूलभूत सुविधाएं देनी थीं, जिससे कंपनी समय पर प्रोजेक्ट शुरू कर सके। कंपनी ने वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। इसकी सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
कंपनी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रोजेक्ट लगाने के लिए सुविधाएं न मिलने के कारण प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा और वापस सरकार को दे दिया। इस पर सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को सेली कंपनी को 64 करोड़ अपफ्रंट प्रीमियम लौटाने के आदेश दिए। सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ एलपीए दायर कर दी है।