केजरीवाल पर विधायक राजेश ऋषि ने जोरदार हमला – केजरीवाल का घर टॉर्चर गृह जैसा, वो हिटलर जैसा बिहैव कर रहे

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नई दिल्ली।  दिल्ली में पांच फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 8 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस दौरान विधायकों राजेश ऋषि, नरेश यादव, रोहित कुमार महरौलिया, भावना गौड़, भूपेंद्र सिंह जून, मदन लाल और पवन शर्मा, विधायक गिरीश सोनी ने पार्टी से इस्तीफे की घोषणा की।
इस्तीफा देने के बाद सभी विधायकों ने इसकी अलग-अलग वजह बताई। इस दौरान विधायक राजेश ऋषि ने केजरीवाल पर जोरदार हमला बोलते हुए उनकी तुलना हिटलर और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से की और उन पर पार्टी संविधान बदलने को लेकर निशाना साधा। साथ ही पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की घटना के लिए भी उन्हें जिम्मेदार बताया।
इस्तीफा देने के बाद इसकी को लेकर एएनआई से बात करते हुए राजेश ऋषि ने कहा, ‘स्वाती मालीवाल हमारी सांसद हैं, हमारी बहुत पुरानी कार्यकर्ता हैं, 2006 से अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ी थीं, उन पर हमला हुआ, केजरीवाल के घर में हुआ, बिभव ने मारा, मामला काफी उछला भी था। लेडी सिंघम कहलाती थीं वों, अरविंद केजरीवाल का जो घर रहा है, एक तरह से समझ लो कि वहां पर टॉर्चर गृह रहा हो। हमारे सामने की बात है जब चीफ सेक्रेटरी को अरविंद केजरीवाल के कहने पर मारा गया था। हम भी थे, उस समय प्रत्यक्षदर्शी थे, हमारे सामने हुआ ये सारा कुछ।’
‘या तो ब्लैकमेल हो रहे या कुछ और कारण है’
आगे उन्होंने कहा, ‘तो ये सब चीजें हैं जो अरविंद केजरीवाल कर रहे हैं, एक तरह से हिटलरगिरी, हिटलर की तरह से व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी का संविधान ही बदल दिया, पहले पार्टी का संयोजक दो साल के लिए होता था, आज वो हमेशा के लिए संयोजक बन गए हैं। जैसे पुतिन ने अपने संविधान को बदलकर पूरे रूस पर नियंत्रण कर लिया, ऐसे ही पार्टी के ऊपर इन्होंने कंट्रोल कर लिया। आज भ्रष्टाचारियों के बीच में फंसे हुए हैं, या तो ब्लैकमेल हो रहे हैं, या कुछ कारण है। यही मैं कहना चाहता हूं।’
‘हमें झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला’
AAP से इस्तीफा देने वाले एक अन्य विधायक रोहित कुमार ने कहा, ‘मैंने आज इस्तीफा दे दिया है। बड़े ही दुखी मन से और आहत होकर मैं इस नतीजे पर पहुंचा और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और तमाम पदों से इस्तीफा दिया है। आंदोलन के समय हम जुड़े थे, सफेद टोपी पहनकर घूमते थे। 15 साल पुरानी नौकरी छोड़कर मैं आम आदमी पार्टी से जुड़ा था। हम इस उम्मीद के साथ पार्टी में शामिल हुए थे कि यह पार्टी स्वच्छ राजनीति करेगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी होगी।’
आगे उन्होंने कहा, ‘खासतौर पर मैं इस पार्टी से इसलिए जुड़ा था, क्योंकि मुझे लगा था कि मैं जिस दबे कुचले वाल्मीकि समाज से, दलित समाज से आता हूं, शायद मेरे लोगों को ये सामाजिक न्याय देंगे, मेरे लोगों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, लेकिन दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि मेरे लोगों को सिवाय झूठी दिलासा और आश्वासनों के कुछ नहीं मिला।’
रोहित कुमार ने आगे कहा, ‘चार-पांच महीने पहले केजरीवाल जी ने लोगों का खासतौर पर सफाई कर्मचारियों का वोट लेने के लिए एक झूठी बात कही थी कि मैंने साढ़े आठ हजार MCD कर्मचारियों की नौकरी पक्की करवाई है, मेरी गलती बस इतनी थी कि जो मेरा टिकट कट गया, कि मैंने उन साढ़े आठ हजार लोगों की लिस्ट मांग ली थी, कि मुझे वो लिस्ट दे दीजिए, क्योंकि मैं उसी वाल्मीकि बस्ती त्रिलोकपुरी में रहता हूं, जहां पर सफाई कर्मचारी मेरे अड़ोस-पड़ोस में रहते हैं। वे रोजाना मुझसे आकर पूछते हैं कि रोहित भाई हमारा लिस्ट में नाम नहीं है, एक बार पता कर लीजिए। मैंने अच्छी भावना से उनसे लिस्ट मांगी थी, बदले में उन्होंने मेरा टिकट काट दिया।’
‘पार्टी अपनी विचारधारा से दूर जा रही’
पार्टी से इस्तीफा देने वाले एक अन्य विधायक मदन लाल ने कहा, ‘इस पार्टी में काम करने का मन नहीं करता, यही सबसे बड़ा कारण है, हमने इस बारे में कई बार सोचा, भले ही हमें टिकट नहीं मिला, हम डेढ़ महीने से ज्यादा पार्टी में रहे लेकिन जिन लोगों को पार्टी ने टिकट दिया, उनका प्रदर्शन, पार्टी का प्रदर्शन, ऐसा लगता है कि पार्टी ने गलती की… पार्टी अपनी विचारधाराओं से दूर जा रही है।’
‘आलाकमान में 4-5 लोग, जो पूरी तरह से भ्रष्ट’
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद एक अन्य विधायक भूपिंदर सिंह जून ने कहा, ‘हमारे ऊपर कोई दबाव नहीं है, उम्मीदवारों की सूची 9 दिसंबर को आई थी और आज 31 जनवरी है, इसलिए इस बीच हमने इस पर विचार किया और फैसला लिया। जिस विचारधारा के साथ आम आदमी पार्टी आई थी, वह उससे दूर हो गई है। आलाकमान के चारों तरफ 4-5 लोग हैं जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उनके खिलाफ शराब घोटाले और स्वाति मालीवाल मामले में आरोप पत्र दायर हो चुकी है। ऐसे लोग पार्टी को चला रहे हैं और शायद केजरीवाल जी उनकी बात ज्यादा सुनते हैं और दूसरे लोगों की बात नहीं सुनते। पार्टी के प्रचार का स्तर इतना गिर गया है कि छोटी-छोटी बात पर लोगों को डराया जा रहा है।’
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