गढ़शंकर, 28 जुलाई : एक तरफ सरकार सरकारी जमीनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों को पौधे लगाने के लिए जागरूक कर रही है, वहीं दूसरी तरफ लकड़ी माफिया गढ़शंकर के बीत इलाके के वनक्षेत्र से शरेआम जंगल काट रहे हैं। पिछले दिनों कोकोवाल-माजरी के जंगलों में पंचायत की जमीन से कीमती पेड़ काटने की खबर मिलने पर गांव कोकोवाल गुज्जरां के सरपंच कमल कटारिया मौके पर पहुंचे और खैर व टाहली के काटे गए पेड़ों को कब्जे में लेकर वन विभाग के कर्मचारियों को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि इलाके के राजनीतिक दल के नेता इन पेड़ों को कटवा रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव की भूमि से दो टाहली(शीशम) और एक खैर के पेड़ काटे गए हैं और लकड़ी माफिया द्वारा इस जंगल से पेड़ों की अवैध कटाई पहले भी होती रही है। सरपंच कमल कटारिया और सरपंच संजीव राणा ने कहा कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटे जंगल में सड़क न होने के कारण लकड़ी चोरी का पता नहीं चल पाता है। इलाके के लोगों का कहना है कि सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि वन विभाग के कर्मचारी ऐसी लकड़ी चोरी की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं देते और अक्सर लकड़ी चोरी करने वाले को मामूली जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है। इस संबंध में जब डीएफओ हरभजन सिंह से बात की गई तो उन्होंने भी कहा कि उन्हें मामले की जानकारी होने से अनभिज्ञता जताई और बाद में उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में कर्मचारियों से पता करते है।