पंजाब के कंडी व बीत ईलाके के जंगलों में बड़े स्त्तर पर चल रहा शिकार और दुर्लभ जंगली जीवों की प्रजातियां हो रही लुप्त
गढ़शंकर। पंजाब के कंडी व बीत क्षेत्र के वन क्षेत्र में लंबे समय से धड़ल्ले से अवैध तरीके से जंगली जानवरों का शिकार करने का खेल चल रहा है। लेकिन बाईल्ड लाईफ विभाग व पुलिस इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा। लिहाजा वन क्षेत्र में दुर्लभ जंगली जीव लुप्त होते जा रहे है। इसी के चलते गढ़शंकर के गांव हाजीपुर के साथ लगते जंगल में शिकारियों के शिकार हुए जंगली सांभरों की तस्वीरें साहमने आई है।
गांव हाजीपुर के साथ लगते जंगल में मृत संाभरों के शवों से साफ लगता है कि शिकारियों ने इनका शिकार कुत्तों को साथ लेकर किया होगा। कंडी व बीत क्षेत्र में जंगली जानवरों का शिकार करने में यहां कुछ स्थानीय लोग जंगली जानवरों का शिकार कुत्तों के सहयोग से, जंगलों पानी के जौहड़ो के निकट पटडिय़ा बना कर, तारों में करंट छोड़ कर, पोटाश के गोलो, व लोहे के पिंजरे बनाकर करते है। लेकिन चंडीगढ़, पंचकूला, लुधियाना, पटियाला व जालंधर इत्यादि क्षेत्रों से कई अमीरजादे जिपसियों व थारों में आते है और गाडिय़ों पर तेज बीम वाली लाइटें और आधुनिक किसम की टैलीसकोप लगी राईफले लेकर शिकार खेलने आते है और रात के समय अपना शिकार खेलने का शौंक पूरा करने के लिए इन जंगलों में दुर्लभ जानवरों का शिकार करने आते है और जंगली जानवरों का शिकार कर शरेआम गाडिय़ों में मृत जानवरो का मास डाल कर अपने विभिन्न सडक़ो से निकल जाते है। इस काम के लिए उन्होंने कुछ स्थानीय लोगो को साथ ले रखा होता है तो जाते हुए यह शिकारी उन्हें कुछ मास का हिस्सा दे जाते है। सूत्रों के मुताविक शिकार करने वाले अमीरजादों के संबंध कई पुलिस अधिकारियों व राजनीतिक लोगो के साथ संबंध होने के कारण इन पर कोई हाथ नहीं डालता। लिहाजा शिकार का खेल शरेआम लंबे समय से चल रहा है। बाईल्ड लाईफ विभाग कभी कभार स्थानीय कुछ छोटे शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर अपने फर्ज की इतिश्रि करने के साथ कागजी कार्रवाई निपटा कर डाटा दिखा देता है कि इतने शिकारियों को पकड़ा गया है।
शिकारियों का शिकर होने वाले जंगली जीव: सांभर, मुर्गे, बकरे, मोरनियां, तित्तर, बटेरे, खरगोश, नील गाय, सेह(कंडियाला, सलाकड़ा व सुयर आदि।
अधिकांश सूयर व नील गाय के शिकारा का बाहरी लोगो को ज्यादा परमिट: किसानो दुारा जंगली जानवर सुयर व नील गाय से फसल वचाने के लिए ख्ुाद की जगह अन्य के लिए परमिट अप्लाई किए जाते है तो लिहाजा परमिट बाहरी लोगो को ज्यादा मिलते है। इस बात का फायदा उठाकर कुछ लोग परमिट बना लेते है और अन्य जंगली जीवों का भी शिकार करते है। जिनका शिकार वैन होता है
बाईल्ड लाईफ के डीएफओ गुरशरन सिंह: मेरे अधिकार क्षेत्र जिला नवांशहर व होशियारपुर है और हमें जव भी कोई सूचना मिलती है तो कार्रवाई करते है और गत दीपावली से एक दिन पहले कुछ लोग पकड़े थे और उस समय हमारे ऊपर दबाव भी पड़ा लेकिन हमने मामला कोर्ट तक पहुंचाया। इस समय दोनो जिलों में करीव तीन सौ सुयर या नील गाय को मारने के परमिट जारी किए गए है। सुयर व नील गाय का शिकारा करने की ही ईजाजत दी जाती है अन्य जंगली जीवों का शिकार वैन है। दो तरह के परमिट जारी किए जाते है जिसमें एक तो फार्मर खुद अप्लाई करता है कि फसल उजाडऩे वाले जंगली जानवर सुयर या नील गाय को मारने के लिए अप्लाई करता है तो दूसरे में फार्मर किसी को मारने के लिए परमिट देने के लिए अप्लाई कर सकता है।