अमृतसर, 15 अक्तूबर : पंजाब के कुछ गांव अभी भी ऐसे हैं, जहां पत्तियां (मुहल्ला) अथवा जात-पात के आधार पर गुरुद्वारा साहिबान की स्थापना की गई है तथा अलग श्मशानघाटों का निर्माण किया गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ऐसे सामाजिक अभ्यास का गंभीर नोटिस लेते हुए इसका जोरदार विरोध किया है।
कमेटी ने अपील की कि यह सब गुरु साहिबान की शिक्षाओं के बिल्कुल विपरीत है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिन्द्र सिंह धामी ने कहा कि एक ही गांव में कई-कई गुरुद्वारा साहिबान तथा श्मशानघाटों का होना पंजाब के लिए सचमुच एक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि आपसी एकता तथा सद्भावना को उत्साहित करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शिरोमणि कमेटी सदैव प्रोत्साहन देती रही है, ताकि दूसरों को भी प्रेरणा मिले।
एडवोकेट धामी ने कहा कि गुरु साहिबान ने पूरी तरह जाति-पाति का विरोध किया। अमृत संचार के समय में भी जाति-पाति के आधार पर कभी कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। श्मशानघाट जैसे स्थान पर जाकर मनुष्य ने मिट्टी में मिल जाना है, वहीं यदि कोई भेदभाव किया जाता है, तो यह बहुत बुरी बात है। किसी गांव में एक से अधिक श्मशानघाट नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
गांव सभरा में हैं 12 गुरुद्वाारा तथा इतनी ही श्मशानघाट
तरनतारन जिले के गांव सभरा को कौन भुला सकता है, जहां एक-दो नहीं, पूरे 12 गुरुद्वारा साहिबान हैं तथा इतने ही श्मशानघाट। इसके साथ जहां भाईचारक भावना प्रभावित होती है वहीं श्मशानघाटों के कारण उपजाऊ जमीनें व्यर्थ हो रही हैं। इन श्मशान घाटों के लिए अलग-अलग ग्रांटें अदा करनी पड़ती हैं। यदि बारीकी के साथ देखा जाए तो इन श्मशानघाटों के पीछे कोई जातीय विद्वेष नहीं बल्कि केवल पत्तियां अलग-अलग होने के कारण अलग-अलग इनके अलग-अलग निर्माण किए गए। यदिद प्रत्येक श्मशानघाट को दो लाख रुपये की ग्रांट दी जाए तो एक गांव को सिर्फ एक कार्य के लिए 24 लाख रुपये देने पड़ेंगे।
गांव सभरा : 12 गुरुद्वाारा तथा इतनी ही श्मशानघाट : SGPC ने गंभीर नोटिस लेते हुए इसका जोरदार विरोध किया
Oct 15, 2022