लुधियाना में आयोजित 18वें अंतरराष्ट्रीय PDFA डेयरी और एग्री एक्सपो में, मोगा जिले के हरप्रीत सिंह की HF नस्ल की गाय ने 24 घंटे में 82 लीटर दूध देकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।
कई डेयरी किसानों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया. मनसा के हीरा डेयरी फार्म को सर्वश्रेष्ठ डेयरी फार्म का अवॉर्ड मिला.
देश में कई गायों की नस्लें और उनके रिकॉर्ड
भारत में गायों की विभिन्न नस्लें पाई जाती हैं, जो ना केवल पशुपालकों के लिए आय का साधन बनती हैं, बल्कि अपने अद्भुत दूध उत्पादन के कारण देशभर में प्रसिद्ध भी हैं. इन गायों की असाधारण क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए कई राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. हाल ही में पंजाब के लुधियाना में आयोजित 18वें अंतरराष्ट्रीय PDFA डेयरी और एग्री एक्सपो में भी कुछ ऐसी ही प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ, जिसमें गायों और भैंसों ने अपनी दूध उत्पादन क्षमता से सबको हैरान कर दिया.
मोगा की गाय ने तोड़ा रिकॉर्ड
लुधियाना के जगरांव में आयोजित इस तीन दिवसीय एक्सपो के दूसरे दिन हुई डेयरी प्रतियोगिताओं में मोगा जिले के नूरपुर हकीमा गांव के ओमकार डेयरी फार्म के हरप्रीत सिंह की HF नस्ल की गाय ने 24 घंटे में 82 लीटर दूध देकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना दिया. इस गाय ने इससे पहले भी 74.5 लीटर दूध देने का रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इस बार उसने खुद ही अपने रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इस बार उसने खुद ही अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया.
कौन रहे टॉप 3 प्रतियोगी?
इस बार की प्रतियोगिताओं में हरप्रीत सिंह की गाय ने पहले स्थान पर रहते हुए 82 लीटर दूध दिया. जबकि दूसरे स्थान पर अगरदीप सिंह, पटियाला के गाय ने 78.570 लीटर दूध दिया, और तीसरे स्थान पर लुधियाना के संधू डेयरी फार्म की गाय ने 75.690 लीटर दूध देकर अपनी जगह बनाई.
किसे मिला सर्वश्रेष्ठ डेयरी फार्म का अवॉर्ड?
यह प्रदर्शनी केवल गायों की प्रतियोगिताओं तक ही सीमित नहीं थी. इस दौरान विभिन्न डेयरी फार्मों को भी सम्मानित किया गया. मनसा के हीरा डेयरी फार्म को इस एक्सपो में सर्वश्रेष्ठ डेयरी फार्म का अवॉर्ड मिला, जो डेयरी उद्योग में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है.
नए रिकॉर्ड से किसानों को मिलेंगी नई उम्मीदें
इस राष्ट्रीय रिकॉर्ड ने न केवल डेयरी किसानों के लिए गर्व का अवसर प्रदान किया है, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय को और बेहतर बनाने की प्रेरणा भी दी है. खासकर उन किसानों के लिए यह एक उदाहरण बन चुका है, जो उच्च दूध उत्पादन की ओर बढ़ने का सपना देखते हैं।