चंडीगढ़ : जेल के अंदर से गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू सिग्नल ऐप के जरिए हुआ था। यह खुलासा डीजीपी प्रबोध कुमार की अगुवाई में बनाई गई एसआईटी ने हाईकोर्ट बताई। इस मामले में अभी और सबूत इकट्ठे करने हैं जिसे लेकर एसआईटी ने हाईकोर्ट से जांच के लिए और 3 महीने का और समय माँगा है। एसआईटी द्वारा हाईकोर्ट में बताया गया कि मामले की जांच चल रही है जिसमें अभी कुछ हम गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का जेल से हुए इंटरव्यू मामले में मार्च 2023 को पुलिस ने लॉरेंस बिश्नोई के बयानों के आधार पर उस पर और अज्ञात गिरोह के सदस्यों पर जबरन वसूली, अधिकारियों से जानकारी छिपाने और साक्षात्कार के संबंध में सबूत नष्ट करने के तहत एफआईआर दर्ज की थी। दूसरी एफआईआर में लॉरेंस और गिरोह के अज्ञात सदस्यों पर आपराधिक धमकी देने, जानकारी छिपाने और सबूत नष्ट करने का केस दर्ज किया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई नई एसआईटी की जांच पूरी होने पर कई चौकाने वाले नाम का खुलासा भी हो सकता है। क्योंकि बिना किसी की मदद के जेल से इंटरव्यू होना संभव ही नहीं है।
हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में ह्यूमन राइट्स के डीजीपी प्रबोध कुमार की अगुवाई में नई एसआईटी गठित की गई थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने एडीजीपी जेल अरुण पाल सिंह के साथ विशेष डीजीपी कुलदीप सिंह की अध्यक्षता वाली पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।
जेल से हुए थे दो इंटरव्यू गैंगस्टर लॉरेंस के : गैंगस्टर लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च की शाम को ब्रॉडकास्ट किया गया था। तब डीजीपी पंजाब ने पहले इंटरव्यू के बाद साफ तौर पर लॉरेंस का इंटरव्यू पंजाब से बाहर होने की बात कही थी। इसके तीन दिन बाद 17 मार्च को फिर दूसरा पार्ट ब्रॉडकास्ट किया गया।
जिसमें लॉरेंस ने जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दे दिया। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। इस पर पंजाब पुलिस का कहना था कि लॉरेंस को जेल गार्ड की कस्टडी में रखा गया था वहां जैमर लगे हैं, इसलिए वहां इंटरव्यू होना संभव नहीं है।
पंजाब पुलिस की एसआईटी ने इंटरव्यू राजस्थान की जेल में होने का किया था दावा : पूछताछ के बाद लॉरेंस को वापस बठिंडा जेल भेज दिया गया। लेकिन इसी बीच लॉरेंस के जेल से 2 इंटरव्यू टीवी पर प्रसारित होने से राजस्थान पुलिस पर भी सवाल उठने शुरू हो गए। क्योंकि इंटरव्यू से पहले लॉरेंस राजस्थान पुलिस की कस्टडी में था। पहले बनाई गई पंजाब पुलिस की एसआईटी ने भी इंटरव्यू राजस्थान की जेल में होने का दावा किया था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में दो में से एक इंटरव्यू राजस्थान की किसी जेल से होने की बात कही थी।
पंजाब पुलिस द्वारा लॉरेंस का इंटरव्यू राजस्थान की जेल होने के दावे के बाद जयपुर सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट ओमप्रकाश शर्मा ने कहा था कि जयपुर जेल में 2 जी और 3 जी तकनीक के जैमर लगे हुए हैं। लेकिन जयपुर जेल से लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू नहीं हुआ है। यह मामला सामने आने के बाद हमारे स्तर पर हुई जांच में यह स्पष्ट हो गया था।
लॉरेंस से जुड़े जितने भी मामलों में जांच हुई, उसमें ये सामने आया की क्राइम की पूरी साजिश भारत में बैन पर्सनल मैसेंजर ऐप के जरिए रची गई। सिग्नल के बाद अब विकर मी ऐप का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है। लॉरेंस और उससे जुड़े गुर्गे अब सिग्नल की बजाय नया ऐप इस्तेमाल करने लगे हैं। भारत में विकर-मी ऐप पूरी तरह से बैन है। फिर भी गैंगस्टर विकर मी ऐप का इस्तेमाल करते हैं। इस ऐप से फिरौती से लेकर मर्डर की पूरी प्लानिंग की जाती है। क्योंकि इस ऐप से लोकेशन ट्रेस नहीं होती और डेटा भी सेफ रहता है। सीकर में राजू ठेहट मर्डर से लेकर जयपुर में जी क्लब फायरिंग में पूरी डीलिंग विकर-मी ऐप के जरिए ही की गई थी। प्रदीप शुक्ला से लेकर शक्ति सिंह रानोली को भी पहले ऐप डाउनलोड कराया गया था। तभी आगे काम शुरू किया गया था।