विधानसभा चुनाव में सोलन सीट पर BJP की हार की टीस अभी गई नहीं है। समीक्षा बैंठकों में यह टीस कहीं न कहीं देखने को जरूर मिल रही है। चुनाव से पहले की खींचतान का असर रिजल्ट पर पड़ा, ऐसा मानने वालों की भी कमी नहीं है। यह दीगर है कि इसे सार्वजनिक मंच पर मानने को कोई तैयार नहीं। बाहर ताे बस इतना कहा जा रहा है कि पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अच्छा काम किया। लेकिन कांग्रेस के लोकलुभावन वादों के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
इस सीट पर हार के कारणों पर मंथन और आगे की रणनीति पर बुधवार को हुई बैठक में भी यह बात उठी कि आपसी तालमेल की कमी भी हार का एक कारण रहा है। ऐसी समीक्षा बैठक पहले भी हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में यह बात भी उठी थी कि सोलन मंडल के कई पदाधिकारी पिछले 5 साल पार्टी प्रत्याशी डॉ. राजेश से दूरी बनाए रहे। टिकट के लिए लगातार नए-नए नाम प्रोजेक्ट किए जाते रहे।
जब तक पदाधिकारियों ने एकजुट होकर काम करना शुरू किया, तब तक देर हो चुकी थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बात को कोई कहने को तैयार नहीं, लेकिन बैठक में मौजूद रहे सूत्रों के मुताबिक ऐसी बात उठी है। बता दें कि चुनाव से पहले सोलन भाजपा का एक गुट डॉ. राजेश कश्यप का टिकट काटने के लिए लगातार सक्रिय रहा। इस गुट की ओर से यहां से टिकट के लिए कई नाम प्रोजेक्ट किए गए।
आखिरी समय तक ऐसा होता रहा। आखिर में जब टिकट डॉ. राजेश को ही मिली तो फील्ड में काम शुरू हुआ। भाजपा को इस सीट पर जीत की उम्मीद थी। यही कारण है कि पार्टी की ओर से मतदान के बाद जो रिपोर्ट बनी थी, उसमें भी जिले में सोलन सदर सीट को ही सेफ माना जा रहा था,
कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे :
उधर, भाजपा मंडल अध्यक्ष मदन ठाकुर का कहना है कि कांग्रेस ने जो झूठे वादे विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता से किए हैं, उसका असर सोलन में भी देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता एकजुट हैं और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुके हैं।
चुनाव से पहले की खींचतान का रिजल्ट पर असर पड़ा : कांग्रेस के लोकलुभावन वादों के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा
Dec 23, 2022