छत्तीसगढ़ : भाजपा ने छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना दिया है। इस रेस में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम भी खबरों में था लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। राजनीतिक हल्कों में अब इस नाम को आगे किए जाने की वजह पर चर्चा शुरू हो गई है। अलग-अलग तरह की चर्चा है और बीजेपी के गेम प्लान को डिकोड करने के प्रयास हो रहे हैं। बीजेपी को लेकर कहा जाता है कि पार्टी के हर फैसले में भविष्य की सियासत को खास तौर पर ध्यान में रखा जाता है। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं और ऐसे में छत्तीसगढ़ के आदिवासी फेस को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे भी एक सियासी तिकड़म मानी जा रही है।
आदिवासी चेहरे का नाम : क्या है प्लान – छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। लोकसभा में छत्तीसगढ़ से 11 सांसद पहुंचते हैं और चार सीटें आदिवासी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ने यहां एक आदिवासी चेहरे को चुनने का फैसला इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए लिया है। विष्णुदेव साय पूर्व राज्य प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं। जिन्होंने मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री और 16वीं लोकसभा में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के सांसद सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2020 से 2022 तक छत्तीसगढ़ के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी संभाला।
चार आदिवासी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटें- अगले साल आम चुनाव होने हैं। बीजेपी की निगाहें पूरी तरह तीसरी बार सत्ता हासिल करने पर है। विष्णुदेव साय का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर आगे रखना पार्टी के आदिवासी वोट बैंक पर मजबूत हाथ रखने की ओर इशारा करता है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा के 11 सांसद हैं। जिसमें 9 भाजपा की झोली में है। बस्तर, कांकेर, सरगुजा और रायगढ़ आदिवासी आरक्षित सीटें हैं। इसमें से बस्तर पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि बाकि तीनों पर बीजेपी के सांसद हैं। अब बीजेपी किसी भी सूरत में अपने इस प्रदर्शन को खराब नहीं करना चाहती, पार्टी आलाकमान जानता है कि आदिवासी चेहरे को आगे रखना उसे सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि झारखंड और अलग-अलग हिस्सों में काफी फायदा पहुंचा सकता है।