जीएसआई ने सौंपी मंडी के आपदा प्रभावित स्थानों की सर्वे रिपोर्ट : डीसी अरिंदम चौधरी ने कहा रिपोर्ट के आधार किए जाएंगे प्रोटेक्शन कार्य, आधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल

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विभागों को एक हफ्ते में प्राक्कलन तैयार करने के निर्देश
मंडी, 30 नवंबर। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया-जीएसआई) की टीम ने मंडी जिले में बरसात में विभिन्न जगहों पर बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन और भूधंसाव के कारणों का पता लगाने और रोकथाम के उपाय सुझाने को किए सर्वे की अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार तथा प्रशासन को सौंप दी है। रिपोर्ट मिलते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार मंडी जिला प्रशासन इसमें सुझाए उपायों के मुताबिक तात्कालिक समाधान के साथ साथ दीर्घकालिक उपायों पर काम में जुट गया है।
जिलाधीश अरिंदम चौधरी ने बताया कि जीएसआई की रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण तथा जल शक्ति विभाग को सभी स्थलों पर प्रोटेक्शन कार्यों के लिए एक सप्ताह के भीतर प्राक्कलन तैयार करने को कहा गया है। उन्होंने गुरुवार को जीएसआई रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बुलाई बैठक में संबंधित अधिकारियों इसे लेकर निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभागों द्वारा दिए प्राक्कलन को राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (स्टेट डिजास्टर मिटिगेशन फंड – एसडीएमएफ) के तहत स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इनमें नालों के तटीकरण, रॉक बोल्टिंग, भूमि भराव एवं संरक्षण, प्रोटेक्शन कार्य, डंगे लगाने इत्यादि कार्य किए जाएंगे।
विश्वकर्मा मंदिर चौक के सामने भूस्खलन वाले स्थल पर 1 करोड़ से प्रोटेक्शन कार्य
रॉक बोल्टिंग की आधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल
अरिंदम चौधरी ने बताया कि मंडी शहर में पुराने सुकेती पुल के समीप विश्वकर्मा मंदिर चौक के सामने भूस्खलन वाले स्थल पर 1 करोड़ से प्रोटेक्शन कार्य किया जाएगा। इसमें रॉक बोल्टिंग की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए प्राथमिक प्राक्कलन तैयार किया है। कार्य के लिए 30 लाख रुपये गुरुवार को ही जारी कर दिए गए हैं और विभाग को तुरंत इसका टेंडर लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, मंडी की टारना पहाड़ी में भूस्खलन और भूधंसाव की समस्या के समाधान के उपायों के तहत पहाड़ी में आई दरारों का उपयुक्त सामग्री से भराव के अलावा सीपेज रोकने के उपाय तथा जल निकासी की सुव्यवस्था के साथ ही अन्य प्रोटेक्शन कार्य किए जाएंगे।
वहीं उन्होंने सरकाघाट के जुकैण गांव में नाले के तटीकरण के लिए भी एक सप्ताह में प्राक्कलन बनाने के निर्देश दिए। इसके करीब 400 से 500 मीटर स्ट्रेच का तटीकरण किया जाएगा। वहीं, उन्होंने सरकाघाट के टटीह, धर्मपुर के रियूर तथा नरेरा तथा सुंदरनगर के फगवां व धनोटू में भी प्रभावित जगहों पर प्रोटेक्शन कार्यों को लेकर प्राक्कलन बनाने को कहा।
जिलाधीश ने आईआईटी मंडी के पदाधिकारियों से इन सभी भूस्खलन तथा भूधंसाव प्रभावित अथवा संभावित स्थलों पर विशेष सेंसर लगाने का आग्रह किया।
जिले में अन्य स्थलों पर आईआईटी मंडी की टीम करेगी सर्वे
जिलाधीश ने कहा कि मंडी जिले में अन्य भूस्खलन तथा भूधंसाव प्रभावित अथवा संभावित स्थलों के सर्वेक्षण के लिए आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है। वैज्ञानिकों का एक दल जल्द ही जिले में चिन्हित जगहों का दौरा कर रोकथाम के उपायों को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
सीएम ने दिए थे निर्देश
गौरतलब है कि समूचे प्रदेश समेत मंडी जिले में जुलाई-अगस्त महीने में भारी बारिश के कारण अनेक जगहों पर भूस्खलन और भूधंसाव की घटनाएं हुई थीं। उन्हें देखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जियोलॉजिकल सर्वे कराकर इसके कारणों का पता लगाने के निर्देश दिए थे। इस संदर्भ में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की एक टीम ने मंडी जिले में पूरी गहनता से सर्वेक्षण किया तथा द्वारा भूभौतिकीय कारकों के व्यापक अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार तथा प्रशासन को सौंपी है। जीएसआई ने मंडी, सरकाघाट, धर्मपुर तथा सुंदरनगर उपमंडल में आपदा प्रभावित जगहों पर सर्वेक्षण किया था। उसके आधार पर प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुरूप अब त्वरित समाधान के साथ साथ सुझाए गए दीर्घकालिक उपायों पर काम किया जा रहा है।
बैठक में सदर मंडी के एसडीएम ओम कांत ठाकुर, सरकाघाट की एसडीएम स्वाति डोगरा, सुंदरनगर के एसडीएम गिरीश समरा, डीसीएफ मंडी वासु डोगर, आईआईटी मंडी के प्रोफेसर डॉ. प्रसन्ना तथा डॉ. आशुतोष, लोक निर्माण तथा जल शक्ति विभाग के आला अधिकारियों समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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