जयराम ठाकुर ने इतना सफर अपने किसी चुनाव में वोट मांगने के लिए पैदल नहीं किया
एएम नाथ। मंडी : जनसेवा क्या होती है जयराम इसका जीता जागता उदाहरण बन चुके हैं। पिछले तीन दिन में ये शख्स करीब 100 किलोमीटर का सफर पैदल कर चुके हैं और करीब 15 पंचायतों में घूमकर लोगों का दुःख दर्द बांट चुके हैं और यह क्रम जारी है।
कुकलाह से बाड़ा, कान्ढा, शरण, मुहराग, बगस्याड, थुनाग, लम्बा थाचा व अन्य गाँव दर गाँव तबाही का जायज़ा लेने निकले जयराम ठाकुर ने इतना सफर अपने किसी चुनाव में वोट मांगने के लिए पैदल नहीं किया।
अगर उनका पहला चुनाव याद होगा तब वे गाँव दर गाँव ऐसे ही गए थे। मगर तब गाड़ी की सुविधा उपलब्ध थी। इस बार परिस्थितियां अलग हैं।
उनकी जगह कोई और होता तो पहले ही दिन से अख़बारों में ब्यान दागना शुरू कर देता के ये नहीं हुआ, वो नहीं हुआ।
मगर जयराम ने बाढ़ आने की अगली अल सुबह ही हालात का जायज़ा लने का काम शुरू कर दिया।
तुरंत केंद्र से मदद मांगी गई और सेना के दो हेलीकाप्टर मंडी पहुंचे जो अब तक मदद में जुटे हैं। जयराम ठाकुर जानते हैं के जो तबाही हुई है उसकी भरपाई बरसों नहीं हो सकेगी।
मगर उनके दिल में अपनी जनता के लिए जो प्यार है वैसा भी हमने किसी और नेता के दिल में नहीं देखा।
खुदा न करे कि किसी के क्षेत्र में ऐसा हो और तब उन्हें परखा जाए लेकिन बिना खाये पिए, बस लोगों से मिलना, उनकी चिंता करना, उनका दुःख सुनना यह बड़ी बात है।
इसके लिए एक विशेष जूनून चाहिए जो जयराम में साफ़ दिखता है। बाकी कहने को बड़ा कुछ है जिसके लिए शब्द सीमा छोटी पड़ जाती है।
इस संकट के समय में किसी की आलोचना भी सही नहीं। मगर इतना जरूर लिखेंगे के जयराम जी आपने एक नज़ीर पेश की है। काश बाकि लोग इससे कुछ सीखें।