वर्ष 2021-22 के लिए कार्य योजना समीक्षा बैठक में दी जानकारी
ऊना 15 फरवरी: जिला ऊना में मत्स्य पालन विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए दो करोड़ 21 लाख रूपये की कार्य योजना तैयार की गई है, जिसके तहत जिला में 13 मत्स्य पालन से संबन्धित इकाइयां स्थापित की जाएंगी। यह जानकारी उपायुक्त राघव शर्मा ने आज मत्स्य पालन विभाग द्वारा आगामी वित्त वर्ष के लिए तैयार की कार्य योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिला ऊना में इस व्यवसाय से जुड़े 230 किसानों के माध्यम से 140 हेक्टेयर भूमि पर हर वर्ष 455 टन मछली उत्पादन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मत्स्य पालन उद्योग किसानों के लिए एक सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है तथा जिला के किसानों को विभाग द्वारा तालाब निर्माण, मशीनरी, मत्स्य बीज इत्यादि उपदान पर उपलब्ध करवाने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक बारे प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
उपायुक्त ने बताया कि कार्प क्लस्टर के तहत बड़े पैमाने पर एक स्थान की 5 हेक्टेयर भूमि पर नये तालाबों के निर्माण करने के लिए 62 लाख रूपये की लागत आती है, जिसमें आवश्यक मशीनरी, वाहन, जाल तथा अन्य जरूरी उपकरण भी शामिल हैं। इसके लिए सरकार 40 से 60 प्रतिशत अनुदान दे रही है। सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत तथा महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर भूमि में 8 लाख 40 हजार रूपये की राशि तालाब निर्माण तथा 4 लाख रूपये के सहायक उपकरण उपलब्ध करवाने पर भी 40 से 60 प्रतिशत की अनुदान राशि दी जा रही है।
1000 वर्गमीटर के बाॅयोफ्लाॅक तालाब में होता है 10-15 टन मत्स्य उत्पादन
राघव शर्मा ने बताया 1000 वर्गमीटर क्षेत्र में बायोफ्लाॅक तालाब तैयार करने की लागत 14 लाख रूपये है, जिसके मुकाबले महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। यानि 8 लाख 40 हजार रूपये का अनुदान सरकार दे रही है, जबकि लाभार्थी को केवल 5 लाख 60 हजार रूपये व्यय करने होंगे। इस तकनीक से तैयार तालाब में 10 माह में 10 से 15 टन तक मछली उत्पादन किया जा सकता है।
आरएएस तकनीक भी दे रही बेहतर परिणाम
उपायुक्त ने बताया कि रिसर्कुलर एक्वाकल्चर प्रणाली भी मत्स्य उत्पादन के लिए एक बेहतर तकनीक है। आगामी वर्ष में इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए जिला के दो प्रगतिशील किसानों ने आवेदन किया है। इस तकनीक की कुल लागत 25 लाख रूपये है, जिसमें महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत अनुदान के रूप में 15 लाख रूपये की अनुदान राशि सरकार द्वारा दी जा रही है। इस लागत राशि में किसान को 6 छोटे 30 घनमीटर के वृताकार तालाब निर्मित करने के अलावा गंदे पानी को साफ करने के लिए मशीनें, मछलियों को प्र्याप्त आक्सीजन की मात्रा बनाये रखने के उपकरण, विद्युत जनरेटर इत्यादि सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इस तकनीक द्वारा साफ किये गये 90 प्रतिशत पानी को फिर से इस्तेमाल में लिया जा सकता है।
पोखरों व तालाबों में मछली उत्पादन की संभावनाएं तलाशी जाएं
उपायुक्त ने बताया कि जिला के विभिन्न स्थानों पर लगभग 500 तालाब हैं, जिन्हें पंचायतों के माध्यम से मत्स्य पालन के लिए उपयोग मंे लाने की संभावनाएं तलाशी जाएं ताकि बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि आगामी वित्त वर्ष के लिए कम से कम 5 बड़े तालाबों का सर्वेक्षण कर प्रयोगात्मक प्रयास आरंभ किये जाएं ताकि सफल होने पर बड़े पैमाने पर प्राकृतिक तालाबों को भी उपयोग में लाया जा सके।
रायपुर मैदान में टूरिज्म की दृष्टि से फिश यूनिट स्थापित हो
उपायुक्त ने निर्देश दिये कि आगामी वर्ष की कार्य योजना में रायपुर मैदान में टूरिज्म की दृष्टि से 50 लाख रूपये की लागत से प्रोमोशन आॅफ रिक्रियेशनल फिशरीज इकाई स्थापित करने को भी शामिल किया जाए।
इस अवसर पर वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी विवेक शर्मा ने प्रोजैक्टर के माध्यम से जिला के मछली पालन व्यवसाय से जुड़े किसानों तथा कार्यशील इकाइयों बारे विस्तृत जानकारी दी।
बैठक में उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी डीआरडीए संजीव ठाकुर, सहायक निदेशक मत्स्य योगेश गुप्ता, जिला स्तरीय मत्स्य पालन समिति के सदस्य विजय डोगरा, सहायक अभियंता जल शक्ति विनोद धीमान, सहायक कृषि अधिकारी दीपिका भाटिया व कृषि विज्ञान केन्द्र से दीप्ती कपूर ने भाग लिया।