होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : दिव्यांगों की भलाई के लिए काम करने वाली संस्था डिसेबल्ड पर्सन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आज शिक्षक दिवस के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए सोसाइटी के अध्यक्ष संदीप शर्मा और सेमिनार की कोऑर्डिनेटर पूजा विशिष्ट ने बताया कि
(शिक्षकों का दिव्यांग बच्चों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलना) विषय पर कराया गया
सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की प्रमुख डॉ. निर्मला देवी ने शिरकत की।
सेमिनार की अध्यक्षता रिटायर्ड प्रिंसिपल देश वीर शर्मा द्वारा की गई।
सेमिनार का शुभारंभ जोती जलाकर किया गया और संगीत शिक्षक रणजीत सिंह द्वारा सरस्वती वंदना का गायन किया गया।
आए हुए मेहमानों द्वारा अपने संबोधन में दिव्यांग बच्चों के प्रति शिक्षकों का व्यवहार कैसा होना चाहिए, इस विषय पर विचार किए गए। मुख्य वक्ता डॉ. निर्मला देवी ने दिव्यांग व्यक्तियों और बच्चों के अधिकारों के लिए समानता का अधिकार देने की बात पर जोर दिया!
प्रिंसिपल देशवीर शर्मा द्वारा शिक्षकों को अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहने और दिव्यांग बच्चों की अधिक सहायता करने का संदेश दिया गया।
श्रीमती रीता गुप्ता द्वारा वस्तु शास्त्र और निम्रोलॉजी की जानकारी दी गई और जागरूक किया गया!
रिटायर्ड प्रोफेसर अरुणा शुक्ला द्वारा रामायण की कुछ लाइनों से कार्यक्रम की शुरुआत की गई!
सेमिनार की कोऑर्डिनेटर पूजा विशिष्ट द्वारा आए हुए मेहमानों का स्वागत किया गया!
स्कूलों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों में प्रोफेसर रणजीत कुमार, रीना गोयल, संजीव बख्शी, श्वानी शर्मा, विजय अरोड़ा, पल्वी पंडित को विशेष रूप से सम्मानित किया गया!
सेमिनार में बेहतर प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों में सीमा शर्मा, संतोष विशिष्ट, ओंकार सिंह, नवीन शर्मा, पंकज शर्मा को भी सम्मानित किया गया!
सेमिनार में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने वाले स्पेशल टीचर्स को भी सम्मानित किया गया!
सेमिनार में स्टेज सचिव की भूमिका मीनाक्षी मेनन ने बखूबी निभाई!
सेमिनार के अंत में सोसाइटी के अध्यक्ष संदीप शर्मा द्वारा आए सभी व्यक्तियों का धन्यवाद किया गया।
इस मौके पर उपस्थित व्यक्तियों में कैशियर राजकुमार, नीलम रानी, अंजू सैनी, हरदीप सिंह, प्रदीप सिंह, हरविंदर कली, सुखजिंदर, गुरप्रीत, राजीव कुमार, दीपक शर्मा, नेहा गुप्ता, अनुराधा, राजदीप, पवन कुमार, कुलजीत बंगड़ समेत बड़ी संख्या में स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षक शामिल थे।