कुरुक्षेत्र : बलजीत कौर का भाई हरजिंद्र भी मीडिया के सामने आए और बताया कि पपलप्रीत को ही उसकी बहन जानती थी। वह भी धार्मिक आयोजनों के दौरान ही ढाई साल पहले पपलप्रीत मिला था। वह अभी तक चार से पांच बार उनके घर भी आ चुका है। यहां गाड़ी खड़ी कर वह कईं बार दिल्ली भी जाता था। अमृतपाल सिंह 19 मार्च की रात को जब वह नौ बजकर 40 मिनट पर पपलप्रीत के साथ सिद्धार्थ कॉलोनी स्थित बलजीत कौर के निर्माणाधीन घर पर सफेद रंग की स्कूटी से पहुंचा तो करीब ढाई घंटे तक पहचाना ही नहीं जा सका। वह मास्क के साथ-साथ चश्मा भी पहन रखा था। सिर पर परना बांधा था।
सूत्रों के मुताबिक जांच में सामने आया कि बलजीत कौर व उसके भाई हरजिंद्र के कहने पर जब ढाई घंटे बाद उसने मास्क व चश्मा उतारा तो खुद ही बताया कि वह अमृतपाल है। इसके बाद उसने अपनी जेब से कोई हथियार निकाला और अपने नीचे दबा लिया। वे समझ नहीं पाए कि कौना सा हथियार है लेकिन अगले ही पल दोनों भाई-बहन के मोबाइल ले लिए और उन्हें बंदकर वापस दे दिया। अमृतपाल ने चेतावनी के अंदाज में कहा कि वह किसी से भी बात न करें। यही नहीं अमृतपाल को वहां भी पुलिस की छापेमारी का भय था। यही वजह है कि उसने घर के पीछे के दरवाजे को खोल रखा था।
उधर, शुक्रवार को बलजीत कौर का भाई हरजिंद्र भी मीडिया के सामने आए और बताया कि पपलप्रीत को ही उसकी बहन जानती थी। वह भी धार्मिक आयोजनों के दौरान ही ढाई साल पहले मिला था। वह अभी तक चार से पांच बार उनके घर भी आ चुका है। यहां गाड़ी खड़ी कर वह कईं बार दिल्ली भी जाता था। धार्मिक विचारों के चलते ही उसने कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों की वीडियो भी पपलप्रीत के लिए बनाई थी, जबकि अमृतपाल के संपर्क में वह कभी नहीं रही।
पपलप्रीत ने पहले उसे कॉल कर घर आने की बात की थी। हरजिंद्र के मुताबिक अगले दिन वह ड्यूटी पर चला गया और वापस लौटा तो पता चला कि अमृतपाल व पपलप्रीत चले गए हैं। इसके बाद उन्होंने एसडीएम के मार्फत डीसी को अमृतपाल के घर पर रुकने की बात बताई।
बलजीत कौर की मां की हो चुकी है मृत्य, : बलजीत कौर अविवाहित है। जब परिजन करीब दस साल पहले उसकी शादी की योजना बना रहे थे तो उसी दौरान मां की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में वह शादी नहीं कर सकी लेकिन उसने हिसार से एमबीए व तकनीकी पढ़ाई भी की। ग्रामीणों का कहना है कि बलजीत कौर शाहाबाद में ही किसी आइलेट सेंटर के साथ काम करने लगी थी। भाई हरजिंद्र सरकारी नौकरी में है। पिता गुरनाम सिंह करीब 72 वर्ष के हैं। वह छोटी डेयरी को संभालते हैं। करीब छह माह पहले वे गांव मामू माजरा से शाहाबाद में रहने लगे थे और अभी ऊपर की मंजिल पर निर्माण कार्य भी जारी है। कभी-कभी वे गांव भी आते रहते हैं।
बलजीत कौर के परिजनों को मिली सुरक्षा :
हरजिंद्र कौर(बलजीत कौर के भाई) और ग्रामीण जसबीर सिंह समेत अन्य लोग एसपी एसएस भौरिया से मिले और उन्होंने रोष जताया कि अमृतपाल अचानक उनके घर आया लेकिन उन्होंने इसके बारे में जानकारी देकर पुलिस का सहयोग किया। इसके बाद उन्हें क्या मिला। बहन बलजीत कौर को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जबकि उनका कोई कसूर नहीं है। अब वे अमृतपाल समर्थकों के निशाने पर आ गए हैं और जान का खतरा बन चुका है। इस पर एसपी ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा दिया तो वहीं जालंधर एसपी से बातचीत कर बलजीत कौर से उनकी बात कराई।