शिमला। अखिल भारतीय किसान संघ के महामंत्री सुरेश ठाकुर ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि आजादी के 75 वर्षों में सभी सेक्टर ने प्रगति की है। मगर, कृषि क्षेत्र की ग्रोथ नहीं हुई पाई। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी नीतियों की वजह से किसान मुश्किल में है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। कृषि उपकरण, खाद, बीज, दवाई पर जीएसटी लगने से इनपुट कॉस्ट कई गुणा हो गई है। इन मांगों को लेकर देशभर के किसान 19 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली करने जा रहे है। उन्होंने कहा कि इस रैली में प्रदेश के 1200 से ज्यादा किसान भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है, लेकिन इसका लाभ 10 प्रतिशत किसानों को ही मिल पा रहा है। एमएसपी के निर्धारण में कई मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। एमएसपी में कार्यशील पूंजी, उस पर ब्याज, कृषि यंत्रों का किराया, एक कुशल श्रेणी प्रबंधक किसान का वेतन, सम्मलित नहीं है और न ही एमएसपी घोषित फसलों को तय दाम पर खरीदा जा रहा है। सुरेश ठाकुर ने हिमाचल में 5000 करोड़ रुपए के सेब उद्योग को बचाने की पहल की। उन्होंने कहा कि प्रदेश को पहचान दिलाने वाला सेब आज संकट के दौर से गुजर रहा है। इसे बचाने के लिए दूसरे देशों से आयात को कम करना होगा। इसके लिए इंपोर्ट ड्यूटी का बढ़ना जरूरी।
गर्जन रैली में किसान इन मांगों को रखेंगे सरकार के समक्ष :
– लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए।
– कृषि इनपुट को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए।
– किसान सम्मान निधि दोगुनी की जाए।
– केंद्र सरकार सभी प्रकार के जीएम बीटी व जीएम सरसों के अनुमति को तत्काल वापस ले।
– फसल अवशेष जलाने पर किसान पर हो रही कार्रवाई व आर्थिक दंड समाप्त करें।