होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : मानव जीवन में आने वाले, दुर्भाग्य ,दुखों और दरिद्रता को भवन का वास्तु दूर कर सकता है या यह कहे कि अगर वास्तु सही है तो आप पर आने वाले संकट को रोका जा सकता है ऐसा मानना हैं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। वास्तु वह विज्ञान है जो हमारे आने वाले कल को सुधार सकता है , भविष्य को संवारने में सहायक की भूमिका अदा कर सकता है इसके लिए हमे प्रकृति के अनुकूल हमारे भवन को बनाने पर जोर देना पड़ेगा!
वास्तु का वास्तविक अर्थ होता है वस तू अर्थात जिस जगह पर आप वास कर रहे हो वह जगह प्रकृति के अनुकूल होनी चाहिए!
वास्तु में दस दिशाओं और पंच तत्वों के साथ भूमि का आकार भूमि का ढलान आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए अगर सही दिशा और पंच तत्वों का निर्धारण सही ढंग से किया गया हैं तो आपका भवन आपके लिए वरदान साबित हो सकता है अगर पंच तत्वों का निर्धारण सही ढंग से नहीं किया गया है तो भवन आपके लिए दुर्भाग और दरिद्रता के साथ दुखों का कारक बन जायेगा! भवन निर्माण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ईशान कोण में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं रहे ईशान कोण अगर हल्का नीचा व वृद्धि कारक है तो भवन में धन सम्पदा का स्थाई वास होता है! ओर अगर ईशान कोण में शौचालय, सीढियां, ऊंचाई युक्त इकाई या भारी निर्माण हैं तो दुःख दरिद्रता एवं दुर्भाग्य का तांडव देखा जा सकता है।इसके साथ ही भवन के नेऋत्य कोण को विशेष ध्यान में रखते हुए हल्का ,नीचा और निर्माण रहित नहीं रखें।इन दोनों कोणो के साथ अगर ब्रह्म सुधार लो आपका भवन आपके भाग्य को बलवान करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। ईशान कटा हुआ हो और नेरीतय में खड्डा हो तो वहां के व्यक्ति इस बात पर हमेशा चर्चा करते रहते हैं कि मानता तो मैं भी नहीं था लेकिन जब चोट सर पर पड़ी तो मैं तो क्या अच्छे अच्छे मानने लग गए।