चंडीगढ़। चंडीगढ़ पुलिस ने बुलेट चोरी करने वाले 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से 22 लाख रुपए के चोरी किए 15 बुलेट बरामद किए हैं। आरोपी चंडीगढ़, मोहाली एवं आसपास के एरिया से बुलेट चुरा पंजाब के ग्रामीण इलाकों में बेचते थे। आरोपियों की गिरफ्तार से पुलिस ने बुलेट चोरी के 6 केस ट्रेस कर लिए हैं। बाकी 9 केस ट्रेस किए जा रहे हैं। आरोपियों ने यू-ट्यूब पर बुलेट का लॉक तोड़ने की ट्रिक सीखी थी। आरोपियों की पहचान तरन तारन के सनेदर सिंह (19) और फिरोजपुर जिले के अमृतपाल सिंह (20) के रूप में हुई है। वहीं, गैंग का एक अज्ञात मास्टरमाइंड भी है। चंडीगढ़ पुलिस ने बुलेट चोरी के जो 6 केस सुलझाए हैं, वह सेक्टर 36 और सेक्टर 39 थाने में दर्ज थे। पुलिस द्वारा इन्हें कोर्ट में पेशकर रिमांड लिया जाएगा तथा चोरी की अन्य वारदातों का पता लगाने की कोशिश की जाएगी। चंडीगढ़ पुलिस के मुताबिक जिन एरिया से बुलेट चोरी हुई थी। वहां की सीसीटीवी कैमरा फुटेज और बाकी इनपुट्स लेकर जांच आगे बढ़ाई गई और गैंग मेंबर्स को दबोचा गया है। पुलिस ने एक आरोपी सनेदर सिंह को गुप्त सूचना के आधार पर सेक्टर 52, कजेहड़ी में 66 केवी स्टेशन के पास नाका लगा दबोचा। उससे बरामद मोटरसाइकिल सेक्टर 42 से चुराई गई थी। 23 नवंबर को उस संबंध में केस दर्ज किया गया था। जिसके बाद अमृतपाल की गिरफ्तारी की गई थी। पुलिस ने बताया कि गैंग मेंबर्स वाहन चुराकर इन्हें पंजाब के अमृतसर, तरनतारन और फिरोजपुर जिलों में बेच देते थे। पकड़े गए दोनों आरोपी कजन बताए जा रहे हैं। गैंग मेंबर शाम के समय पंजाब से चंडीगढ़ आते थे। इसके बाद यह रेकी कर पूरी प्लानिंग के साथ अपराध को अंजाम देते थे। पकड़े गए अमृतपाल सिंह के खिलाफ फिरोजपुर पुलिस जुलाई, 2021 में दंगे, मारपीट का केस दर्ज कर चुकी है।
नशे के आदी के थे आरोपी : पुलिस ने बताया कि पकड़े गए आरोपी नशे के आदी हैं। आरोपियों ने लॉक तोड़ने और बुलेट को स्टार्ट करने का तरीका यू-ट्यूब पर सीखा था। चोरी वाहन पर डुप्लीकेट नंबर प्लेट लगा आरोपी फरार हो जाते थे। । पुलिस इनसे चोरी की और वारदातों का पता लगाने में जुटी हुई है। पुलिस का कहना है कि पंजाब में बुलेट की डिमांड ज्यादा होने के चलते आरोपी बुलेट को ही निशाना बनाते थे। पुलिस ने बताया कि आरोपी फिरोजपुर और तरन तारन के ग्रामीण इलाकों में बुलेट को बेच देते थे। यह ग्राहकों से सिर्फ बयाने के रूप में रुपए लेते थे और कहते थे कि बाकी रकम गाड़ी के डॉक्यूमेंट देने के दौरान लेंगे। हालांकि वह वापस नहीं आते थे, क्योंकि उनके पास गाड़ी के कागजात ही नहीं होते थे।