विद्यालयों के पास ठेका खोलने का प्रदेश भर में हो रहा है विरोध
नगर निगम के पास संसाधनों की कमी, फिर भी शराब के ठेके चलाने के बाध्य कर रही सरकार
शराब से राजस्व इकट्ठा करने के सारे दावे हवा-हवाई, हर साल दहाई में नहीं पहुँचा राजस्व
एएम नाथ। शिमला : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुख की सरकार में प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का नया मॉडल चल रहा है। जहाँ सरकार हर साल हज़ारों की संख्या में स्कूल और कॉलेज बंद कर रही है और स्कूलों समेत अन्य प्रमुख स्थलों के साथ सैकड़ों की संख्या में शराब के ठेके खोल रही है। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार का प्रदेश भर में स्कूलों के पास शराब के ठेके खोलने का लोगों द्वारा विरोध हो रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा धरना दिया जा रहा है, बच्चों के भविष्य की गुहार लगाई जा रही है लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। कुछ जगह थक हार कर लोगों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। सरकार को इस तरह के निर्णयों से बाज आना चाहिए और शराब के ठेकों की बजाय स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के हितों के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वही सरकार है जिसने पिछले साल बिलासपुर में आंगनबाड़ी के पास शराब का ठेका न खोलने को लेकर जब स्थानीय महिलाओं ने विरोध किया तो संबंधित अधिकारी ने कहा कि आप आंगनबाड़ी का केंद्र ही कहीं और ले जाओ। क्या मुख्यमंत्री के आत्म निर्भर हिमाचल का यही रोड मैप है? क्योंकि इसके अलावा सरकार कहीं और प्रयत्न करते नहीं दिख रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार अब ठेके चलाने के लिए नगर निगम को बाध्य कर रही है। संसाधनों की कमी का सामना कर रहे नगर निगम के सामने अपनी तमाम समस्याएं हैं। लेकिन सरकार उन्हें बार-बार की नीलामी के बाद भी न बिकने वाले ठेके चलाने का दबाव बना रही है। आखिर शराब बेचना सरकार की प्राथमिकता क्यों हैं? नगर निगम के लोगों को सरकार उनके काम के बजाय अन्य कामों में लगाना चाहती है। सरकार चाहती है कि आम आदमी से जुड़े काम को छोड़कर निगम के कर्मचारी शराब बेंचे क्योंकि मुख्यमंत्री को आबकारी के आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर दिखाने हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की आबकारी से आय के मामले में किए गए सारे दावे धराशायी हो गए हैं। उनका एक-एक झूठ बेनकाब हो गया है। सुक्खू सरकार की नीतियों की वजह से आबकारी के राजस्व के अर्जन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। सुक्खू के सत्ता में आने के बाद से ही हर साल आबकारी के राजस्व में चालीस फीसदी वृद्धि का दावा करते रहे। सदन से लेकर प्रदेश के चौक चौराहे पर झूठ बोलते रहे। अगर सरकार के दावे में जरा भी सच्चाई होती इस बार सरकार आबकारी से राजस्व अर्जित करने के लिए 4 हज़ार करोड़ क लक्ष्य रखती 2800 करोड़ का नहीं। सचाई यह है कि सुक्खू सरकार हर साल आबकारी राजस्व के वृद्धि में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है। जबकि पूर्व की भाजपा सरकार के अंतिम वर्ष में आबकारी के राजस्व में 22 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।