निहत्थे लोगो पर लाठी चार्ज और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण : जनभावना पहले दिन ही मालूम हो गई थी लेकिन प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण को हल्के में लिया – नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर

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जनभावना पहले दिन ही मालूम हो गई थी लेकिन प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण को हल्के में लिया,   बातचीत करने के बजाय सरकार की तरफ़ से भी भावनाएं भड़काई गई
सरकार ने शांति की अपील की और न ही न्याय करने का आश्वासन दिया
एएम नाथ। शिमला :  पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बल प्रयोग करना, वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं । इस पूरे प्रकरण में सरकार द्वारा पहले दिन से ही पक्षपात पूर्ण कार्रवाई की जा रही है। जब यह स्पष्ट है कि मस्जिद क़ानूनी नहीं है तो न्यायोचित कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन कार्रवाई करने के बजाय मुख्यमंत्री प्रदर्शन करने वाले लोगों की ही धमकाते रहे, सख़्ती से निपटने की बात करके जन भावना को आहत करने का प्रयास करते रहे। यह सरकार की नाकामी है। सरकार इस मुद्दे को डील करने में, जनभावनाओं को समझने और उसका सम्मान करने में असफल रह गई। जो काम क़ानून के हिसाब से किया जा सकता था, वह आलाकमान के दबाव  में नहीं कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में जनभावना पहले दिन ही पता चल गई थी लेकिन सरकार ने पूरे मामले को हल्के में लिया। प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण को हल्के में लिया। यह मामला शुरू हुआ एक लड़ाई झगड़े से। एक स्थानीय लोगों को कुछ लोगों ने मिलकर मारा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गये और मारने वालों ने संजौली की उसी इमारत में शरण ली। उस जगह ऐसे लोगों का आना जाना है जो ठीक नहीं हैं। स्थानीय लोगों की बातें और भी हैरानी वाली हैं। जिस तरह से वहां आने वाले लोगों का बर्ताव है, वह असहनीय हैं। हिमाचल सरकार का मंत्री कह रहे हैं कि यह लोग कौन हैं, रोहिंग्या हैं या बांग्लादेशी हैं कुछ पता नहीं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पूर्व सरकार के समय से प्रवासियों के लिए चल रहे रजिस्ट्रेशन और सत्यापन की प्रक्रिया को बंद क्यों किया गया?  इसके पीछे सरकार की क्या मंशा है? मुख्यमंत्री को यह सब बातें प्रदेश के लोगों को बतानी चाहिए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इस मामले में सरकार का रवैया बहुत नकारात्मक रहा। मुख्यमंत्री ने इस मामले में न तो किसी से बात की, न शांति की अपील की, न ही इस मामले में न्याय का आश्वासन दिया। सरकार ने इस मामले को बेहद ही असंवेदनशीलता के साथ लिया। ख़ुफ़िया तंत्र पूरी तरह फेल रहा। इतनी भारी भीड़ प्रदेश भर से आई। व्यवस्था अस्त-व्यस्त थी लेकिन सरकार ने संजौली के आस-पास के छोटे बच्चों के स्कूल तक नहीं बंद किए। जिससे छोटे बच्चे स्कूल की छुट्टी के बाद फंस गये। छोटे-छोटे बच्चों केको हुई इस परेशानी की ज़िम्मेदारी कौन लेगा। सरकार से हर स्तर पर चूक हुई। इस पूरे मामले में शासन-प्रशासन से हर स्तर पर लापरवाही बरती गई। एक मार पीट के मामले में न्यायसम्मत गिरफ़्तारी न होना, अराजक तत्वों को सरकार द्वारा संरक्षण दिया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले में सरकार न्यायसंगत कार्रवाई करे।
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