गढ़शंकर : पंजाब में विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा अन्य लोगों के साथ-साथ पंजाब के मुलाजिमों, पैंशनर्स, अस्थाई मुलाजिमों तथा मान-भत्ता वर्करों की मांगों को सरकार बनते तुरंत पूरा करने का वादा किया गया था। परंतु सरकार के गठन के बाद भी पंजाब के समूह मुलाजिमों, पैंशनर्स, अस्थाई मुलाजिमों, मान भत्ता वर्करों तथा बेरोजगार नौजवानों के सभी मसले ज्यों के त्यों ही हैं। पहली सरकारों की तरह नई सरकार भी कोरे वादों के साथ समय व्यतीत कर रही है।
इस संबंध में पंजाब-यूटी मुलाजिम एवं पैंशनर्स संयुक्त फ्रंट द्वारा पैंशनर्स भवन लुधियाना में कर्म सिंह धनोआ की अध्यक्षता में अपनी बैठक करके संयुक्त फ्रंट का पुनर्गठन किया गया। जिसमें सतीश राणा, ठाकुर सिंह, जरमनजीत सिंह, कर्म सिंह धनोआ, रणजीत सिंह राणवां, सुखदेव सिंह सैनी, प्रेम सागर शर्मा, बाज सिंह खैहरा, सुखजीत सिंह, जसवीर तलवाड़ा, अविनाश चंद्र तथा बिजली बोर्ड ज्वाइंट फोरम के एक नेता को संयुक्त फ्रंट में संयोजक लेने का फैसला किया गया।
संयुक्त फ्रंट के नेताओं ने कहा कि मांगों संबंधी संयुक्त फ्रंट के एक वफद द्वारा 21 जनवरी को आप नेता हरपाल सिंह चीमा के साथ संगरुर में उनके निवास स्थान में एक जनतक बैठक की गई थी। जिसमें उनके द्वारा सभी मांगों के प्रति सहमति व्यक्त की गई और सरकार बनने पर इन्हें लागू करने का ऐलान किया था। परंतु सत्ता प्राप्ति के उपरांत मुलाजिमों तथा पैंशनर्स की मांगों को मानना को दूर रहा, संयुक्त फ्रंट के साथ बैठक तक नहीं हुई है। जिसके रोष स्वरूप 8 मई को 500 मुलाजिम तथा पैंशनर्स का वफद संगरुर में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की रिहायश की तरफ मार्च करके उन्हें मांगपत्र पेश करेगा।