चंड़ीगढ़ : पुलिस द्वारा इंटेलीजेंस रिपोर्ट की अनदेखी करने से पटियाला मैं माहौल खराब होना एक कारण बना। शिवसेना की घोषणा के बाद इंटेलीजेंस ने एक सप्ताह पहले ही चेतावनी दी थी कि टकराव हो सकता है। पुलिस ने इसे गंभीरता से लेती तो टकराव को टल सकता था। इसका खुलासा सीएम तथा डीजीपी को दी गई इंटेलीजेंस की शुरुआती रिपोर्ट में हुआ है।
जिक्रयोग है कि खालिस्तान पक्षीय गुरपतवंत पन्नू द्वारा खालिस्तान स्थापना दिवस मनाने के ऐलाान के विरोध में शिव सेना ने पहली बार खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च निकालने की घोषणा की थी। शिवसेना नेता हरीश सिंगला के साथियों के अलावा अन्य कोई हिंदू संगठन इसमें शामिल नहीं था। इंटेलीजेंस ने टकराव से 6 घंटे पहले ही पुलिस को अलर्ट कर दिया था।
इसके बावजूद किसी को गिरफ्तार करना तो दूर की बात, पुलिस ने बैरीकेटिंग तक नहीं की। सिर्फ एक सडक़ पर बैरीकेटिंग की गई।
रिपोर्ट में मुताविक अधिकारियों ने न तो बैरीकेटिंग करवाई, ना टीअर गैस के गोलो का औए ना ही वाटर कैनन का प्रबंध किया गया। एस एस पी डॉ नानक सिंह सिर्फ अपने पिस्तौल व अन्य मुलाजिमों से ऐके-47 के साथ हवा में फायर करते रहे। इसके उलट प्रदर्शनकारी पुलिस के सामने नाचते नजर आए।
एसपी सिटी हरपाल सिंह को शहर के बारे में पूरी जानकारी थी। मार्च के दौरान वह मूक दर्शक बने रहे। डीएसपी अशोक कुमार गुरुद्वारा दुख निवारण से लेकर श्री काली देवी मंदिर तक हर स्थान पर मौजूद थे। काली माता मंदिर के समीप थानों के एसएचओ विक्रमजीत बराड़ तथा एसएचओ गुरप्रीत सिंह दोनों ही पक्के तौर पर तैनात थे पर स्थिति को संभाल नहीं सके।
वही पंजाब पुलिस के साइबर विंग तथा इंटेलीजेंस ने फोटों तथा वीडियो को एकत्रित करना शुरु कर दिया है। पुलिस को लगभग 43 वीडियो प्राप्त हुए हैं। फोटो एवं वीडियो को एकत्रित करके जांच की जिम्मेदारी एआईजी रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है।