पढ़िए हिमाचल की डॉ तरुणा कमल की सक्सेस स्टोरी : पहले बनी डॉक्टर फिर पहले अटेम्प्ट में क्लियर किया UPSC

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एएम नाथ। शिमला : भारत में मेडिकल और सिविल सेवा परीक्षाएं बेहद चुनौतीपूर्ण हैं, जिसके लिए कई लोग सालों तक तैयारी करते हैं। जबकि अधिकांश लोगों को एक भी परीक्षा पास करना मुश्किल लगता है, कुछ लोग दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने में सफल होते हैं। हिमाचल प्रदेश की डॉ. तरुणा कमल ऐसी सफलता का एक शानदार उदाहरण हैं, जिन्होंने मेडिकल और UPSC दोनों परीक्षाएं पास की हैं।

डॉ. कमल ने अपने पहले प्रयास में ही 2022 की यूपीएससी परीक्षा में 203वीं रैंक हासिल की। ​​अब वह 2023 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। मूल रूप से मंडी जिले की रहने वाली डॉ. कमल ने यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने मेडिकल करियर को पीछे छोड़ने का फैसला किया।

तरुणा का शैक्षणिक सफर :   26 जून 1997 को जन्मी डॉ. कमल ने रत्ती के मॉडर्न पब्लिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने पालमपुर के जीसी नेगी कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस से मेडिकल की डिग्री हासिल की। ​​वेटरनरी की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।

उनके पिता नगर निगम में सफाई ठेकेदार के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी माँ नोर्मा देवी गृहिणी हैं। डॉ. कमल अपने परिवार के अटूट समर्थन को मेडिकल की पढ़ाई और यूपीएससी की तैयारी के बीच संतुलन बनाने में आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने में महत्वपूर्ण मानती हैं।

तरुणा की सफलता की कहानी :   डॉ. कमल महज 25 साल की उम्र में आईपीएस अधिकारी बन गईं। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने चंडीगढ़ में एक कोचिंग सेंटर जॉइन किया। उनकी लगन और कड़ी मेहनत ने उन्हें पहली बार में ही परीक्षा पास करने में मदद की।  डॉ. कमल की कहानी उन कई इच्छुक उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो मेडिकल और सिविल सेवा दोनों क्षेत्रों में सफल होना चाहते हैं। उनकी यात्रा इस बात पर प्रकाश डालती है कि दृढ़ता और परिवार के सहयोग से ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करना संभव है।

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