पसंदीदा लोगों पर करोड़ों लुटाने वाले सीएम को नए अधिकारियों से परहेज क्यों : जयराम ठाकुर

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रिटायर अधिकारियों को मनमाना एक्सटेंशन देने वाली सरकार नए अधिकारी क्यों नहीं चाहती
संघीय व्यवस्था का अपमान कर रहे हैं कांग्रेस के मुख्यमंत्री
एएम नाथ। मंडी : मंडी से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार हर दिन अपने अजीबो गरीब करतूत से प्रदेश का नुकसान कर रही है। सुक्खू सरकार द्वारा आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को लेने से इनकार करने के मामले में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री दागदार अधिकारियों को अपने सलाहकार मंडल की फौज में शामिल करते हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश के विकास में अपना योगदान देने वालेअफसरों को लेने से इनकार करते हैं। अपने चहेते मित्रों और नजदीकी लोगों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने वाले मुख्यमंत्री को प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों से ऐतराज़ क्यों है? जब आज सरकार नए अधिकारी नहीं लेगी तो कल प्रदेश को आवश्यकता के अनुसार अधिकारी कैसे मिलेंगे? उन अधिकारियों का काम कौन करेगा? क्या मुख्यमंत्री अधिकारियों के काम अपने मित्रों से ही करवाना चाहते हैं? वह जान ले कि अधिकारियों के काम अधिकारी करते हैं मुख्यमंत्री के खासम खास मित्र नहीं। इसलिए मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वह व्यवस्था पतन के इस दौर को बंद करें।
जयराम ठाकुर ने कहा कि हम संघीय व्यवस्था में रहते हैं। यह हमारे संविधान द्वारा दी गई व्यवस्था है। संघीय व्यवस्था हमारे संविधान की एक खूबी है। जहां केंद्र और राज्य के बीच विभिन्न मुद्दों पर परस्पर समन्वय और सहमति से काम किया जाता है। लेकिन वर्तमान सरकार हर प्रकार के नियम कानून का उल्लंघन करने में विश्वास रखती है। केंद्र द्वारा नियमानुसार दिए जाने वाले अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा लेने से कैसे इंकार किया जा सकता है? अगर सरकार अधिकारियों को नहीं लेगी तो जो काम अधिकारियों के हैं उन्हें कौन करेगा? क्या मुख्यमंत्री आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से लिए जाने वाले कामों को अपने मित्रों से करवाना चाहते हैं? सुक्खू सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर प्रदेश में चल रही समस्त व्यवस्थाओं का पतन करना चाहती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस सरकार ने प्रदेश पर अपने असंवैधानिक कामों से करोड़ों रुपए का बोझ लाद दिया हो, सलाहकारों की फौज खड़ी की हो मित्रों को कौड़ियों के भाव कैबिनेट रैंक बांटी हो, नियम विरुद्ध सीपीएस बनाकर प्रदेश पर करोड़ों रुपए का बोझ डाला हो और उनकी नियुक्ति को जायज ठहरने में भी 10 करोड़ रुपए से ज्यादा वकीलों पर खर्च कर चुकी हो, उसके मुंह से नैतिकता की बात शोभा नहीं देती है। जिस अधिकारी पर विपक्ष में रहते मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार से लेकर हर तरीके आरोप लगाते थे, आज उन्हीं अधिकारियों से सरकार चलवा रहे हैं। आकंठ भ्रष्टाचार और वित्तीय अराजकता में डूबी सरकार संविधान द्वारा बनाए गए नियम कानून और निर्देशों की पूर्णतया अवहेलना कर रही है। देश के इतिहास में यह पहला मामला है, जब किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा हो कि उसे अखिल भारतीय सेवाओं से अधिकारी नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री का यह कदम हास्यास्पद और शर्मनाक है। हर राज्य दुनिया की बेहतरीन परीक्षाओं से चुनकर आए आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की ज्यादा से ज्यादा मांग करता है जिससे उसके प्रदेश के विकास के नए आयाम खुल सकें। लेकिन हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री सेवानिवृत्त सलाहकारों और अपने मित्रों के बलबूते सरकार चलाना चाहते हैं।
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