चंडीगढ़ : पंजाब के भाजपा नेता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अटारी सीमा के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बहाल करने की अपील की। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने पंजाब की पीड़ा का वर्णन किया और कहा कि बिना औद्योगिक और व्यावसायिक विकास के पंजाब प्रगति नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिया था। चार साल की अवधि में अब स्थिति बदल गई है। आर्थिक दृष्टि से दुनिया के बड़े देशों का जी-20 शिखर सम्मेलन पंजाब की धरती पर होने जा रहा है। पंजाब को अंतरराष्ट्रीय पटल पर व्यापार के लिए उभारने की कोशिश तब तक सफल नहीं होंगी जब तक कि अटारी सीमा के जरिए खाड़ी देशों समेत पाकिस्तान और मध्य एशिया से व्यापार को बढ़ावा नहीं दिया जाता। पाकिस्तान के साथ समुद्री मार्ग से व्यापार किया जा सकता है तो पंजाब के थल मार्ग से क्यों नहीं? जानकारों के मुताबिक व्यापार बंद होने से पंजाब को सालाना 5000-7000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। विश्व बैंक के अनुसार इस मार्ग से 37 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार करने की क्षमता है।
व्यापार बंद होने से पहले इस सीमा मार्ग से रोजाना 400 ट्रकों का आना-जाना था। जहां कस्टम ड्यूटी में 200 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, वहीं व्यापार भी ठप हो गया है। अटारी-वाघा सीमा पर व्यापार बंद होने से अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई। तीन पीढ़ियों से कुली का काम करने वाले करीब तीन हजार लोगों और उनके परिवारों, ट्रक चालकों, मैकेनिक, स्थानीय व्यापारियों और ढाबा मालिकों की आजीविका प्रभावित हुई है। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अटारी में अपना पहला लैंड पोर्ट विकसित किया है। यह व्यापार के लिए स्वीकृत भूमि मार्ग है। कुल 120 एकड़ में फैले अटारी पोर्ट की राष्ट्रीय राजमार्ग-1 तक सीधी पहुंच है।