पहलगाम में आतंकवादी हमले में एक कश्मीरी युवक की भी जान चली गई. उसकी पहचान सैयद हुसैन शाह के रूप में हुई है। पहलगाम के पास अशमुकाम का रहने वाला सैयद हुसैन शाह घोड़े चलाने का काम करता था। पर्यटकों को अपने घोड़े पर घुमाता था। उसके पिता सैयद हैदर शाह ने एएनआई को बताया कि मंगलवार को हमले वाले दिन भी वह पहलगाम घोड़े चलाने के लिए गया था। तीन बजे उन्हें पता चला कि बैसरन में हमला हो गया है।
उन्हीनों बताता की हमने उसे फोन किया तो वो स्विच ऑफ आया. बाद में साढ़े 4 बजे फोन ऑन हुआ. हम फोन करते रहे. फोन किसी ने नहीं उठाया. फिर थाने में गए. वहां एक रिपोर्ट लिखाई. फिर हम घर आए. बाद में पता चला कि हमला हो गया. हमारे लड़के ने जाकर देखा तो वह अस्पताल में था. वह घर में सबसे बड़ा था और अकेला कमाने वाला था। रुंधे गले से सैयद हैदर शाह ने कहा कि जान चली गई. वो चला गया तो अब किसी से क्या कहें. हमें इंसाफ चाहिए। उन्होंने (आतंकवादियों ने) ऐसा क्यों किया? बेगुनाह था वो, बेगुनाह मारा गया।
आतंकियों से भिड़ गया था हुसैन : एक अखवार को कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया है कि सैयद हुसैन शाह अपने घोड़े पर टूरिस्ट्स को घुमाने के लिए बैसरन गया था. हमले के वक्त वह वहीं पर मौजूद था. आतंकी जब गोलियां चलाकर निर्दोष लोगों को मार रहे थे तो उसने उन्हें रोकने की भी कोशिश की. उसने कहा कि ये कश्मीर के मेहमान हैं. मासूम हैं. उन्हें मत मारो. आतंकियों ने उसकी एक न सुनी. इस पर वह एक आतंकवादी से भिड़ गया और उसकी राइफल छीनने की कोशिश की. इस पर हमलावर ने उसे गोली मार दी,जिससे उसकी मौत हो गई।
दो आतंकवादी पाकिस्तानी
बता दें कि पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई. शुरुआती जांच में सामने आया है कि 3 से 4 आतंकवादियों ने AK-47 राइफलों से लगातार फायरिंग की थी. हमले में शामिल दो आतंकवादी पश्तो भाषा में बात कर रहे थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि वो पाकिस्तानी थे. अन्य दो स्थानीय आतंकवादी बताए जा रहे हैं. इनके नाम आदिल और आसिफ हैं. ये दोनों बिजबेहरा और त्राल इलाके के रहने वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार कुछ आतंकवादियों ने बॉडी कैमरा पहना हुआ था. हमले की पूरी घटना को रिकॉर्ड किया गया है. NIA ने मौके पर पहुंचकर गवाहों के बयान दर्ज किए हैं. फॉरेंसिक टीम गोलियों के खोखे और अन्य अहम सबूत जुटाने में लगी हुई है।