शिमला :राज्य सचिवालय में आठ मंजिला पार्किंग को प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एनजीटी की रोक के बावजूद शुरू कर दिया है। इस मामले में 29 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होगी लेकिन उससे पहले ही मनमर्जी से सचिवालय के पीछे बनी इस पार्किंग में गाडि़यां खड़ी करवाना शुरू करवा दिया गया है। योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता की याचिका पर एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को शिमला शहर के कोर और ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। शहर और प्लानिंग एरिया में सिर्फ ढाई मंजिला भवन निर्माण की छूट दी गई थी। सरकार ने एनजीटी के आदेशों को दो साल बाद 10 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों पर रोक नहीं लगाई है। इसी बीच राज्य सरकार ने इन पाबंदियों से राहत देने के लिए नगर एवं नियोजन विभाग से नया डेवलपमेंट प्लान तैयार करवाया था।
इसमें शहर के कोर और ग्रीन एरिया में पाबंदी हटाने का प्रावधान किया गया। प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला भवन निर्माण की शर्त भी हटाने का फैसला लिया था। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी थी। विधि विभाग इसकी अधिसूचना जारी करने वाला था कि इससे पहले ही एनजीटी ने इस प्लान पर भी रोक लगा दी। साथ ही 16 नवंबर 2017 को जारी आदेशों को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे। शिमला डेवलपमेंट प्लान को स्थगित करने वाले एनजीटी के आदेशों को सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट से यह फाइल तलब कर ली। अब सुप्रीम कोर्ट में दोनों मामलों पर 29 मार्च 2023 को एक साथ सुनवाई की जाएगी। इससे पहले कि न्यायिक स्थिति स्पष्ट होती, राज्य सचिवालय की पार्किंग को शुरू कर दिया गया है। कानूनी पेच का हवाला देते हुए आम लोगों के लिए इस तरह की गतिविधि पर रोक है। वहीं, प्रधान सचिव सामान्य प्रशासन विभाग भरत खेड़ा से इस बारे में प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने इससे अनभिज्ञता जताई।