नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता रद्द करने के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कैश फॉर क्वेश्चन मामले में एथिक्स कमिटी की सिफारिश के बाद महुआ की संसद सदस्यता शुक्रवार को रद्द कर दी गई थी।
गौरतलब है कि महुआ पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद एथिक्स कमिटी का गठन किया गया और फिर एथिक्स कमिटी ने लोकसभा में लंबी जांच-पड़ताल के बाद शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपा था।
रिपोर्ट में एथिक्स कमिटी ने लोकसभा अध्यक्ष से महुआ मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।रिपोर्ट पेश होने के बाद लोकसभा में करीब एक घंटे तक चर्चा चली और फिर महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव जारी किया गया, जिसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, ‘यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है।
कृष्णानगर लोकसभा सीट से पहली बार संसद पहुंचीं मोइत्रा को शुक्रवार को संसद से निष्कासित कर दिया गया। लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट में उन्हें ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। जिससे उनके निष्कासन का रास्ता बना। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हंगामेदार चर्चा के बाद लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। चर्चा में मोइत्रा को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।