होशियारपुर , दलजीत अजनोहा । महेश अर्थात शंकर है। इसलिए धार्मिक ग्रंथों का यह मत है कि केवल उस गुरु को ही नमस्कार करना चाहिए जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूप में है। इस कारण सारे धार्मिक ग्रंथ गुरु की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। गुरु अपने सेवक को ज्ञान का बोध कराता है और केवल ब्रह्मज्ञान के द्वारा शांति संभव है। इसलिए हमारे शास्त्रों में गुरु के विषय में वर्णन किया गया है कि गुरु ही परम धर्म और परम गति है।