होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : श्री गुरु रविदास जी ने जात-पात का खंडन कर ऊँच वर्ग के जातीय अभिमान और अहंकार को आघात पहुँचाया। समाज से शोषण, छुआ छूत और पाखंड का अंत करके समानता पर आधारित समाज का निर्माण करना आवश्यक है, ताकि गुरु जी द्वारा दर्शाए गए बेगमपुरा के सपने को साकार किया जा सके। मानसा ज़िले के गाँव खियाला कलां में आयोजित आदिधर्म सत्संग के दौरान प्रवचन करते हुए संत सतविंदर हीरा, राष्ट्रीय प्रधान ऑल इंडिया आदिधर्म मिशन (रजि.) भारत ने कहा कि सामाजिक बुराइयों का विरोध करने के लिए समय-समय पर मानवता के मार्गदर्शक इस दुनिया में जन्म लेते रहे हैं। इन्हीं में श्री गुरु रविदास जी का नाम प्रमुख है, जिन्होंने अपने समय में व्याप्त ऊँच-नीच, जात-पात, कर्मकांड, पाखंडवाद और धार्मिक कट्टरता जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।संत हीरा ने कहा कि उस दौर में शूद्रों को किसी भी तरह के अधिकार प्राप्त नहीं थे और उनके साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता था। इस मनुवादी व्यवस्था के विरुद्ध जो मुहिम चली, उसमें सत्गुरु कबीर महाराज और श्री गुरु रविदास महाराज की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बताया कि सत्गुरु रविदास जी स्वयं अपने हाथों से श्रम करते, जरूरतमंदों की सहायता करते और ईश्वर की भक्ति में लीन रहते।उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी की वाणी इस बात पर बल देती है कि परमात्मा कोई रहस्य नहीं, बल्कि हर कण में विद्यमान है। इस अवसर पर प्रबंधक समिति की ओर से संत सतविंदर हीरा और संत बीबी पूनम हीरा को विशेष सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में राज सिंह लाडी, जगदेव सिंह, अमर सिंह भोला, आसा सिंह, बीरबल सिंह, स्वरन सिंह, गुरप्रीत सिंह, सतनाम सिंह, सतपाल सिंह, जगसीर सिंह, कृपाल सिंह, भूपिंदर सिंह, भूरा सिंह, भोला सिंह, अमरजीत सैपला, राजपाल कौर, चिंदर कौर, सुखविंदर कौर, सरबजीत कौर, चरणजीत कौर और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।