नई दिल्ली । मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा से राज्य को आवंटित डीएपी उर्वरक की 15 नवंबर तक पूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की और कहा कि राज्य राष्ट्रीय खाद्य भंडार में गेहूं की आपूर्ति में लगभग 50 प्रतिशत का योगदान देता है।
उन्होंने कहा कि गेहूं की खेती के लिए डीएपी सबसे जरूरी तत्व है और इस साल गेहूं की बुआई के लिए राज्य में 4.80 लाख टन डीएपी की जरूरत है। मान ने कहा कि अब तक राज्य को 3.30 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद मिला है जो अपर्याप्त है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात समझ में आती है कि 70 प्रतिशत डीएपी दूसरे देशों से आयात किया जाता है, इसलिए यूक्रेन युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय कारणों से डीएपी की कमी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य में डीएपी की जरूरत मुख्य रूप से 15 नवंबर तक है, इसलिए केंद्र सरकार को अन्य राज्यों की तुलना में राज्य को डीएपी आवंटित करने में प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि दूसरे राज्यों को बाद में इसकी जरूरत पड़ेगी।
मान ने कहा कि आज राज्य भर की मंडियों में चार लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई और यह प्रक्रिया सुचारू रूप जारी है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के बयानों को निराधार करार देते हुए कहा कि ”सोने की चम्मच लेकर पैदा होने वाले” लोग राज्य की जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं।
मान ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मंडियों में बिताई है और वह मंडियों में किसानों तथा मजदूरों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत सुविधा संपन्न बिट्टू को कृषि की बुनियादी गतिशीलता के बारे में भी जानकारी नहीं है।