होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : मानव जीवन में सात प्रकार के सुखों को महत्त्व दिया है है इन सातों सुखों में सबसे महत्वपूर्ण सुख है निरोगी काया। हमारी काया निरोगी तब तक रहेगी जब तक हमारा खानपान सही होगा एवं हम जिस आवास में निवास करते हैं वहां की वास्तु सही होगी तब तक। ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का। वर्तमान समय में मोटापे को लेकर महिला वर्ग ज्यादा चिंतित हैं उसका एक कारण यह भी है कि पुरुषों की तुलना महिलाएं अपना ज़्यादा समय घर की चहारदीवारी के भीतर व्यतीत करती हैं। वास्तु की माने तो वायव्य कोण में शयन कक्ष होने से मानसिक अवसाद में आने से अनर्गल खान पान हो जाता हैं दूसरा अग्निकोण का भी संबंध तनाव, अलगाव से होता हैं और बढा हुआ अग्निकोण, जल दूषित अग्निकोण तो मोटापे का कारण बनता ही बनता है। उपरोक्त दोषों के साथ ईशान कोण भी दूषित है तो महिला वर्ग, पुरुष वर्ग के साथ बालक वर्ग भी मोटापे के शिकार हो जाते है। इन तीनों कोणों के दोषों में आग में घी का काम तो दक्षिण दिशा करती हैं। जहां दक्षिण दूषित है वहां से कद काठी और सुडौल, सरहरे,शरीर की कल्पना ही व्यर्थ नज़र आती हैं। उपरोक्त दोषों में नेरीतय के दोष जुड़ जाते हैं तो तीव्र गति से मोटापा बढ़ने लगता हैं। घर की वास्तु सुधार कर आप सुंदर, सुडौल, आकर्षक एवं निरोगी काया के घनी बन सकते हैं।